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७. आध्यात्मिक चिकित्सा [२]
जिससे हम स्वस्थ न हों उस धर्म के प्रति हमारा आकर्षण नहीं हो सकता। अनुलोम-विलोम प्रक्रिया--स्वस्थ शरीर में बलवान् आत्मा, यह शरीर-चिकित्सा का सूत्र । आध्यात्मिक स्वास्थ्य होने पर शरीर स्वस्थ, यह अध्यात्म-चिकित्सा का सूत्र।। अध्यात्म-रोग-आवरण, विकार और अन्तराय। रुग्ण अवस्था में चेतना, आनन्द और शक्ति का समन्वित विकास नहीं हो सकता। आध्यात्मिक चिकित्सा-आवरण-प्रेक्षा, विकार-अनुप्रेक्षा और अन्तराय भावना।
उस धर्म के प्रति हमारे मन में आकर्षण नहीं हो सकता जो हमारे वर्तमान को उज्ज्वल नहीं बनाता, जो हमारे अन्धकार को दूर नहीं करता, हमारे पथ को प्रशस्त या आलोकित नहीं करता। एक युग था मान्यता का । उसमें मान्यता के आधार पर धर्म चलता था। आज वैज्ञानिक युग है। यह तार्किक और बौद्धिक युग है। इसमें मान्यता के आधार पर धर्म नहीं चल सकता। इस युग में वही धर्म चल सकता है, जो प्रायोगिक है और हमारे अनुभव का विषय बनता है, हमारे अनुभवों में उतरता है। जो अनुभव में नहीं उतरता, जिसका परिणाम हमें प्रतीत नहीं होता, जिसका फल हमें उपलब्ध नहीं होता, उस धर्म के प्रति, वैज्ञानिक दृष्टि रखने वाले व्यक्ति का आकर्षण नहीं हो सकता।
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