________________
मंत्र का साक्षात्कार : ३६
स्रोत तक पहुंचता है। एक क्रम है सूक्ष्म से सूक्ष्म की ओर जाने का, अन्दर से बाहर की ओर जाने का। एक क्रम है स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाने का, बाहर से भीतर की ओर जाने का। यह साधना का क्रम है। यह अन्तर्यात्रा का क्रम है। अन्तर्यात्रा के रहस्य को समझ लेने पर ही यह सम्भावना की जा सकती है कि 'णमो अरहंताणं' से कषाय क्षीण हो सकते हैं, संस्कार क्षीण हो सकते हैं, शुद्ध चेतना का अनुभव हो सकता है और शुद्ध चेतना की उच्चतम भूमिका में हमारा आरोहण हो सकता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org