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काटे जाते हैं । पारा और पानी का मिश्रण नहीं होता । सूक्ष्म ध्वनि के प्रयोग से पारे में पानी मिल जाता है। सूक्ष्म ध्वनि से कपड़ों की धुलाई होती है ।
नागपुर के पास खाकरी रेलवे स्टेशन है। वहां एक संस्था स्थापित हुई है । वह संस्था कृषि पर मंत्रों का अनुसंधान कर रही है । उसके कुछ प्रयोग सामने आए हैं। उन्होंने बैंगन, ककड़ी आदि बोए । एक खेत में रासायनिक खाद डाली गई, बीज बोए गए, पूरा पानी दिया गया, सुरक्षा की गई। दूसरे खेत में खाद नहीं डाली, केवल बीज बो दिए गए। उसमें मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित पानी सींचा गया। परिणाम यह आया कि जितने स्थान में रासायनिक खाद के द्वारा १६ किलो ककड़ी पैदा हुई, उतने ही स्थान में अभिमंत्रित जल के द्वारा ४० किलो ककड़ी हुई। जहां रासायनिक खाद की भूमि में ३५ किलो बैंगन हुए, वहां अभिमंत्रित जल के द्वारा ७० किलो बैंगन हुए । यह सारा सूक्ष्म ध्वनि का चमत्कार है ।
ध्वनि के प्रयोग भावना के द्वारा वनस्पति पर किए गए । वनस्पति का बहुत विकास हुआ। गाय को संगीत सुनाते हैं । उसका दूध बढ़ जाता है | मंत्रों की ध्वनि से वातावरण को प्रकंपित किया जाता है। उन प्रकंपनों के द्वारा अद्भुत काम संपादित होते हैं । हम उनकी कल्पना भी नहीं कर सकते। मैं इस लम्बी चर्चा में नहीं जाऊंगा। मंत्र के द्वारा आध्यात्मिक जागरण संभव है, यह जान लेना चाहिए । यदि मंत्रों का आध्यात्मिक जागरण में प्रयोग किया जाए तो आध्यात्मिक जागरण में सरलता और सहजता आ जाती है ।
मंत्र का प्रयोजन : २३
दीर्घ श्वास-प्रेक्षा, शरीर - प्रेक्षा, चैतन्य - केन्द्र - प्रेक्षा, लेश्या ध्यान आदि के द्वारा बहुत लोग लम्बी यात्रा न कर सकें किन्तु मंत्र के माध्यम से अनेक व्यक्ति अध्यात्म की दिशा में लम्बी यात्रा कर सकते हैं। इसलिए प्रत्येक धर्म ने अपने-अपने मंत्रों का चुनाव किया और उनके द्वारा अपने धर्म की यात्रा शुरू की। वे आगे बढ़ते गए ।
हमारी आध्यात्मिक जागरण की समस्या तब तक हल नहीं होती जब तक शरीर के चैतन्य- केन्द्र जागृत नहीं हो जाते, बहिर्मुखी वृत्ति टूट नहीं जाती, कामनाएं क्षीण नहीं हो जातीं, उनके प्रति हमारा आकर्षण समाप्त नहीं हो जाता। जब तक अन्तर्मुखी वृत्ति में रस और बहिर्मुखी वृत्ति की विरति नहीं होती तब तक समस्या हल नहीं होती ।
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