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________________ हो जाता है, वह बर्फ बन जाता है। जो हमारी कल्पना है, जो हमारा चिन्तन है, वह तरल पानी है। जब चिन्तन का पानी जमता है तब वह श्रद्धा बनती है, विश्वास बनता है। तरल पानी में कुछ गिरेगा तो वह पानी को गंदला बना देगा। बर्फ पर जो कुछ गिरेगा, वह नीचे लुढ़क जाएगा, उसमें घलेगा नहीं। जब हमारा चिन्तन श्रद्धा में बदल जाता है, जब हमारा चिन्तन विश्वास में बदल जाता है, तब वह इतना घनीभूत हो जाता है कि बाहर का प्रभाव कम से कम हो जाता है। उस स्थिति में जो घटना घटित होनी चाहिए, वह सहज ही घटित हो जाती है। हमने नमस्कार मंत्र के प्रथम चरण 'णमो अरहताणं' का प्रयोग किया। आप न मानें कि हमने केवल 'ण' 'मो' आदि अक्षरों का ही प्रयोग किया है। हम इन अक्षरों को बचपन से जानते हैं, किन्तु इनकी अनन्त शक्ति से परिचित नहीं हैं। यदि हमने शब्द की शक्ति को जाना, वर्णों से बने पद को समझा, वर्णों का समायोजन किया, ध्वनि के सूक्ष्म उच्चारण को समझा, उसके साथ अपना संकल्प जोड़ा, गहरी श्रद्धा का उसमें नियोजन किया तो ‘णमो अरहंताणं' ये सात अक्षर महान् देवता बन जाएंगे। यह पद पूरा चिन्तामणि रत्न, कल्पवृक्ष या कामधेनु बन जाएगा। इस सत्य को हम समझें। ____ अध्यात्म का अर्थ ही होता है—आत्मा के भीतर उतरना । केवल शरीर या केवल चमड़ी तक ही नहीं रहना है किन्तु इस शरीर और चमड़ी से परे जो है, वहां तक हमें पहुंचना है। यदि वहां पहुंचकर हम सूक्ष्म को समझने का प्रयत्न करें, सूक्ष्म रहस्यों का उद्घाटन करने का प्रयत्न करें, उन दरवाजों को हम खोलें, जिनको आज तक हमने नहीं खोला है तो इस सप्ताक्षरी पद से अध्यात्म जागरण की पूरी प्रक्रिया में साधक को योगदान मिल सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003073
Book TitleEso Panch Namukkaoro
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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