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होंगे, वे परमाणुओं को कैसे प्रकंपित करेंगे और उनकी परिणति किस प्रकार की होगी ?
मंत्र क्या है ? : १७
एक प्रश्न आया कि मंत्र का आलंबन भी एक आलंबन है और एक कल्पना है। हां, यह ठीक है । किन्तु क्या कल्पना का कोई उपाय नहीं है ? आलंबन का कोई उपयोग नहीं है ? बहुत बड़ा उपयोग है कल्पना का और आलंबन का। कल्पना का दूसरा रूप बनता है संकल्प और संकल्प का तीसरा रूप बनता है— यथार्थ । पहले कल्पना की, संकल्प किया और कल्पना को दृढ़ निश्चय में बदला। तीसरे में वह यथार्थ बन गया ।
अमेरिकी नौसैनिकों ने संकल्प-शक्ति के कुछ प्रयोग किए। एक सैनिक इलैक्ट्रिक स्विच के सामने जाकर खड़ा हो जाता है और बिजली के जलने का संकल्प करता है । स्विच दबाने की आवश्यकता नहीं होती। जैसे ही वह संकल्प करता है, स्विच ऑन हो जाता है, बिजली जलने लगती है । संकल्प शक्ति के सहारे भारी लोहे की अलमारी कमरे के इस छोर से उस छोर तक पहुंच जाती है । पहले कल्पना की, फिर संकल्प किया और तीसरे स्टेज पर वह यथार्थ बन जाता है। इसका कारण भी समझें ।
जब हम कल्पना को संकल्प की भूमिका तक लाते हैं तब सारे परमाणुओं में प्रकंपन शुरू हो जाता है । जिस दिशा में संकल्प के परमाणु जाते हैं, वे सारे आकाश-मंडल को प्रकंपित कर देते हैं । वह प्रकंपन इतना तीव्र हो जाता है कि कल्पना यथार्थ में बदल जाती है । आपने यहां बैठे कल्पना की कि आप कलकत्ता में बैठे अपने पुत्र से बात करना चाहते हैं या अपने मन के भाव उसे बताना चाहते हैं । आप एक आसन में बैठ जाएं और संकल्प को दोहराते चले जाएं। जब संकल्प तीव्र हो जाता है तब कोई आश्चर्य नहीं कि आप जो बताना चाहते हैं, उसे आपका पुत्र न जान पाए । आज जो विचार संप्रेषण के प्रयोग किए जा रहे हैं, वे सारे संकल्प-शक्ति के प्रयोग हैं। कल्पना को व्यर्थ न समझें । उसका बहुत बड़ा उपयोग है। कल्पना व्यर्थ तब होती है जब वह योजनाबद्ध नहीं होती । ऐसी स्थिति में संकल्प बनता ही नहीं । व्यक्ति विकल्पों के जाल में फंस जाता है, कल्पना व्यर्थ बन जाती है । यदि योजनावद्ध पद्धति से संकल्प-शक्ति का प्रयोग किया जाए तो हम यथार्थ तक पहुंच सकते हैं ।
मंत्र विकल्प से निर्विकल्प तक पहुंचने की प्रक्रिया है । मंत्र सविचार से
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