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१६ : एसो पंच णमोक्कारो
ऊर्जा का आभावलय निर्मित होगा। वह इतना शक्तिशाली और इतना प्रतिरोधात्मक बनेगा कि बाहर की कोई भी शक्ति आक्रमण नहीं कर पाएगी। शब्द में अनंत शक्ति होती है। प्रत्येक अक्षर शान्ति से भरा होता है। मंत्रशास्त्र की जो खोजें हुई हैं, वे बड़ी अदभुत हैं। उन खोजों ने जो विवरण प्रस्तुत किया, उसे हम भूल गए, अन्यथा हम औषधि के स्थान पर मंत्र का ही उपयोग करते। संदेशवाहक के स्थान पर हम मंत्र से ही काम. लेते। समाचार मंगाने या प्रेषित करने के लिए हम मंत्र का ही उपयोग करते। सारा काम मंत्र से हो जाता। __मंत्रशक्ति का सदुपयोग भी हो सकता है और दुरुपयोग भी हो सकता है। आचार्य भद्रबाहु ने संघ की सुरक्षा के लिए ‘उवसग्गहरं स्तोत्र' का निर्माण किया। उसको संघ को देते हुए कहा—'जब भी कोई समस्या आए, विघ्न उपस्थित हो, उस समय इस स्तोत्र का उच्चारण करने पर देव प्रस्तुत होगा, संकट का निवारण करेगा। उपयोग और दुरुपयोग साथ-साथ चलते हैं। एक बहन रसोई बना रही थी। बछड़ा खूटी पर बंधा था। वह रस्सी तुड़ाकर भाग गया। उस बहन ने सोचा कि रसोई छोड़कर जाना उचित नहीं है। मंत्र का प्रयोग क्यों न करूं ? उसने मंत्र जपा। देव उपस्थित हुआ। पूछा—'क्या संकट है ?' बहन ने कहा—'कोई संकट नहीं है । बछड़ा भाग गया है। उसे लाकर बांध दो ।' देव ने आज्ञा का पालन किया। फिर देव ने आचार्य के पास जाकर सारी बात कही। आचार्य ने स्तोत्र में परिवर्तन कर दिया। उसके जाप से संकट तो दूर होता रहा किन्तु देव की साक्षात् उपस्थिति छूट गई। ____ 'अ' से 'ह' तक प्रत्येक अक्षर का वर्ण होता है, स्वाद होता है। यदि हम उच्चारण की सूक्ष्मता में जाएं तो पता चलेगा कि अक्षरों के उच्चारण के साथ-साथ स्वाद में भी अन्तर आ रहा है। जब यह सूक्ष्म ज्ञान लुप्त हो गया तो मंत्र की शक्ति भी विस्मृत हो गई, उसकी चाबी हमारे हाथ से चली गई। मंत्रशक्ति शब्द की संयोजना पर निर्भर है। मंत्र-शक्ति का मुख्य तत्त्व है शब्द की संयोजना। किस उद्देश्य से मंत्र का उपयोग करना है, उस आधार पर शब्द की संयोजना की जाती है। जैसे रसायन शास्त्री जानता है कि किन-किन द्रव्यों को मिलाने से कौन-सा द्रव्य बनता है, वैसे ही मंत्रविद् जानता है कि किन-किन शब्दों की संयोजना से किस प्रकार के तरंग पैदा
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