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१४६ : एसो पंच णमोक्कारो
ॐ नमः सिद्धं ॐ-भ्रू युग्म पर न–नासाग्र पर मः-ओष्ठ यूगल पर सि-कर्णपाली पर द्धं—ग्रीवा पर
अङ्गायास
ॐ णमो अरहंताणं-शिरोरक्षा । ॐ णमो सिद्धाणं-मुखरक्षा। ॐ णमो आयरियाणं—दक्षिण-हस्त रक्षा। ॐ णमो उवज्झायाणं-वाम-हस्त रक्षा।
ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं--कवच । ॐ णमो अरहंताणं (ध्यान-प्रक्रिया) ____ मुख में चन्द्र-मण्डल के आकार वाले अष्टदल कमल की कल्पना करें। प्रत्येक दल पर एक-एक अक्षर का न्यास करें--- ॐ ण मो अ र हं ता णं । ‘स्वर्णगौरी स्वरोद्भूतां, केशरालीं ततः स्मरेत् । कर्णिकां च सूधाबीजं, व्रजन्तु भुवि भूषितम् ।।'
दाह-शांति
ॐ नमो ॐ अहँ असि आ उ सा 'नमो अरहताणं नमः'-हृदय-कमल में १०८ बार जपने से उपवास का फल । इस मंत्र से पानी को मंत्रित कर अग्नि या दावानल के आगे उस पानी की रेखा खींचने से दाह-शांति ।
रक्षा मंत्र
ॐ णमो अरहंताणं-नाभि । ॐ णमो सिद्धाणं— हृदय ।
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