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महामंत्र : निष्पत्तियां कसौटियां : ६५
जाए ता निश्चित हा व इतना लाभ प्राप्त करग क पदाथ स मिलन वाला लाभ उसके सामने नगण्य होगा, तुच्छ होगा।
नमस्कार महामंत्र की आराधना में तीन दिशाएं उद्घाटित हैं—वर्ण की दिशा, अक्षरों की दिशा और चैतन्यकेन्द्रों की दिशा । इनका प्रयोग करें। अध्यात्म की साधना करने वाला व्यक्ति सदा जागरूक रहे। उसके मन में अपनी आंतरिक बीमारियों को मिटाने की तीव्र आकांक्षा होनी चाहिए। वीमारी उठते ही यदि इलाज हो जाता है तो वह सहजतया मिट जाती है। यदि उसके इलाज में विलंब होता है तो वह भयंकर रूप धारण कर लेती है। अध्यात्म साधक का मन इतना जागरूक और संवेदनशील होना चाहिए कि वह प्रत्येक आंतरिक बीमारी को पकड़ सके, अनुभव कर सके, उसे मिटाने के लिए नाना दिशाओं को खोज सके। उन दिशाओं की खोज में नमस्कार महामंत्र अपने नानारूपों में बहुत उपयोगी हो सकता है। उस उपयोगिता को हम समझें और उससे लाभ उठाएं।
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