________________
१०. महामंत्र : निष्पत्तियां-कसौटियां
• ध्येय के प्रति आकर्षण होने पर विकल्प स्वयं शान्त ।
अहं अर्हत् में और ममत्व समत्व में बदल जाता है। मंत्रसिद्धि के लक्षण१. आन्तरिक शक्ति का विकास। २. चित्त की प्रसन्नता, तुष्टि । ३. ज्योतिदर्शन। ४. प्रकाशमय शरीर। ५. आनन्द अश्रु। ६. पुलकन। ७. इच्छाशक्ति का विकास। ८. पौद्गलिक पदार्थों की अनुकूल
मंत्र का आम्नाय-मंत्र की शक्ति में विश्वास । • ध्येय के साथ तादात्म्य।
जीवन की सारी निष्पत्तियां साधना के प्रारंभ-बिन्दु से चलती हैं। साधना का एक आरंभ-बिन्दु होता है। वहां से हम चलना शुरू करते हैं। जब पहला चरण उठता है तब निष्पत्ति की आशा नहीं की जा सकती। पहला चरण उठते ही कोई निष्पत्ति की आशा करे तो उससे बढ़कर नासमझी नहीं होगी। पहले चरण में हम ध्येय की दिशा में चलें किन्तु निष्पत्ति का भाव न लाएं। हमारा आत्मविश्वास इतना प्रबल हो कि जिस
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org