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________________ शारीरिक स्वास्थ्य और नमस्कार महामंत्र : ८६ स्तर हैं। आदमी दवा लेता है शरीर को स्वस्थ रखने के लिए। यह समग्र दृष्टिकोण है। किन्तु जब घुटने में दर्द होता है तो उस दर्द की दवा लेता है, जब दांत में दर्द होता है तो दांत के दर्द की दवा लेता है। इसी प्रकार कमर, कान, आंख के दर्द में भिन्न-भिन्न दवाइयां लेता है। इन रोगों के आधार पर इनके विशेषज्ञ चिकित्सक भी बन गए। कान के दर्द का विशेषज्ञ, दांत के दर्द का विशेषज्ञ, हड्डी का विशेषज्ञ आदि-आदि । ठीक इसी दृष्टिकोण से हम नमस्कार महामंत्र की उपासना को देखें। नमस्कार महामंत्र की साधना का समग्र दृष्टिकोण है—आत्मा का जागरण। किन्तु इस जागरण की प्रक्रिया के साथ-साथ साधक को यह देखना होगा कि वह किस बीमारी से अधिक ग्रस्त है-क्रोध की बीमारी, अभिमान या लोभ की बीमारी, भय या हीनभावना की बीमारी, क्षोभ या चिन्ता की बीमारी ? जो बीमारी ज्यादा सताती है उसे पहले मिटाना है। यह सच है कि साधना का मूल लक्ष्य है..-आत्मा का जागरण, पूरी चेतना को जगाना, शक्ति के स्रोतों को जागृत करना, आनन्द के महासागर का अवगाहन करना। किन्तु पहले यह भी जानना जरूरी हो जाता है कि कौन-सा आध्यात्मिक दोष अधिक सता रहा है और उसे समाप्त करने का रास्ता क्या है ? जब यह बात मन में उपजती है तब पद्धति का प्रश्न सामने आता है।। ___ एक बात है कि महामंत्र की आराधना से निर्जरा होती है, कर्म-क्षय होता है, आत्मा की विशुद्धि होती है। इस बात को मानकर आप जब चाहें, तब इसका जाप करें, जहां चाहें वहां इसकी माला फेरें, जिस दिशा में चाहें उस दिशा में मुंह कर इसे जपें। सोते-जागते, उठते-बैठते, चलते-फिरते -जब भी याद आए तब इसका स्मरण करें: जाप करें, ध्यान करें, कोई अड़चन नहीं है। किन्तु जब आप किसी एक रोग-विशेष को ही मिटाना चाहते हैं तो विशेष पद्धति का ही अनुसरण करना होगा। यदि आप भय की बीमारी मिटाना चाहते हैं तो नमस्कार महामंत्र की एक विशेष पद्धति का प्रयोग करना होगा और यदि आप चिन्ता या क्षोभ की चिकित्सा नमस्कार महामंत्र द्वारा करना चाहेंगे तो दूसरी पद्धति का आलंबन लेना होगा। एक ही पद्धति से सब रोग नहीं मिटाए जा सकते। प्रत्येक रोग के लिए नमस्कार महामंत्र की एक विशेष प्रकार की साधना करनी होगी, विशेष प्रकार के ध्वनि-तरंग और प्रकंपन पैदा करने होंगे, जिससे कि उस रोग की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003073
Book TitleEso Panch Namukkaoro
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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