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समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा काम आएगा अपना भरोसा
हम दिन भर विचारों के घेरे में कैद रहते हैं। कभी क्रोध का विचार आता है, कभी मान,माया और लोभ का विचार आता है, कभी घुणा और द्वेष का विचार आता है। यदि निरन्तर इन्हीं विचारों में जीते रहे तो न स्वास्थ्य की चिन्ता करने की जरूरत है, न प्रसन्नता और दीर्घायुष्य की चिन्ता करने की जरूरत है। इस स्थिति में हम अपने आपको नियति या रामभरोसे छोड़ दें। यह मान लें, जो होना लिखा है, वही होगा।रामभरोसे से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है अपना भरोसा। हम अपने आप पर भरोसा करें, अपनी आत्मानभति को जगाएं, शुद्ध चेतना का अनुभव करें। यह अध्यात्म की गहरी बात लग सकती है किन्तु यह एक सचाई है। आचार्य कुन्दकन्द जैसे अनेक आचार्यों ने अध्यात्म की अनुभूति कर इस सचाई को उजागर किया है। हम इस दिशा में आगे बढ़ें, शुद्ध चेतना की खोज के लिए समर्पित हों, हमारा भविष्य हमारे हाथ में होगा।
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