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________________ 30 समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा क्रियान्वित नहीं करेगा। कोई विचार आया, क्रोध का विचार आया, काम का विचार आया, वासना का विचार आया। यदि उसे देख लिया, जान लिया तो बात समाप्त हो जाती है। विचार आए और उसके साथ बह जाए तो फल लग जाएगा। सही साधन का चुनाव _परम्परा क्यों बनती है? कोई विचार आता है और हम विचार की क्रियान्विति कर देते हैं तो परम्परा आगे बढ़ती है। विचार को देख लें, क्रियान्विति न करें तो उसका तांता ट्ट जाएगा। दूसरी बार विचार आएगा तो विचार भी सोचेगा- निकम्मा आदमी है, मझे क्रियान्वित नहीं करेगा। पांच-दस बार ऐसा होगा तो विचार आना ही बंद हो जाएगा। एक सही साधन का चुनाव करना जीवन में सफल होने का बहुत बड़ा सूत्र है। एक बहुत बड़े सेनापति से लोगों ने पूछा- आपकी सफलता का रहस्य क्या है? आप हमेशा जीतते ही हैं। इसका राज क्या है? उसने कहा- मैं नौ खुफिया और एक रसोइया रखता हूं और मेरा जो शत्रु है, वह नौ रसोइया और एक खुफिया रखता है। महत्त्वपूर्ण शब्द जहां साधन गलत होते हैं, आदमी हार जाता है। साधन सामग्री सही होती है तो विजय में कोई आशंका नहीं रहती। जिस व्यक्ति को वीतराग की कक्षा तक पहुंचना है, उसे चनाव करना है ज्ञाताभाव का, द्रष्टाभाव का। ज्ञाता और द्रष्टा- ये दो शब्द अध्यात्म में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। ज्ञाता और द्रष्टा होना चिकित्सा का भी बहुत बड़ा सूत्र है, मन की शान्ति का भी बहुत बड़ा सूत्र है। जो व्यक्ति इसकी ठीक साधना करता है, वह सराग से वीतराग होने की साधना करता है और ... एक दिन ऐसा आता है, रात और अन्धकार समाप्त हो जाते हैं, कोरा दिन और कोरा प्रकाश रहता है, रात और दिन का द्वन्द्व मिट जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003072
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size6 MB
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