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दिन और रात का द्वन्द्व
47 किसान ने कहा-क्या करूं? खेती करूंगा तो हिरण बिगाड़ देंगे। क्या पता, वर्षा होगी या नहीं? सफलता का सूत्र
जो खेती नहीं करेगा, वह कभी अनाज पैदा नहीं कर पाएगा। जो व्यक्ति खतरे मोल लेता है, आत्मविश्वास के साथ अपना काम करता है, निष्ठा और दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़ता है, कहीं रुकावट आती है तो भी वह सफल हो जाता है। जिसमें अध्यवसाय है, निष्ठा है, वह सारी कठिनाइयों को पार कर आगे बढ़ जाता है। जो बाधाओं के भय से पड़ा रहता है, वह सोया का सोया रह जाता है।
हमें पहुंचना है जघन्य ज्ञान से उत्कृष्ट ज्ञान तक। मति-श्रुत से केवलज्ञान तक, जघन्य दर्शन से उत्कृष्ट दर्शन तक, चक्ष और अचक्ष दर्शन से केवलदर्शन तक। हमें पहुंचना है उत्कृष्ट चारित्र तक। जो सामायिक की सामान्य साधना है, उससे लेकर वीतराग चारित्र तक, सराग चारित्र से वीतराग चारित्र तक। वहां तक पहुंचने के लिए एक अध्यवसाय, निरंतरता और आशा का होना आवश्यक है। जो व्यक्ति निराश हो जाते हैं, वे जीवन में सफल नहीं होते। जिन्होंने साधना शुरू की, सफलता नहीं मिली और निराश हो गए, वे कभी साधना में सफल नहीं हुए। जिसमें दृढ़ आस्था होती है, वही सफल हो सकता है। विधायक दृष्टिकोण : आशावादिता ___ एक बढ़ा साधक साधना कर रहा था। उधर से नारदजी निकले। साधक ने पूछा-आप कहां जा रहे हैं? नारदजी ने कहा-मैं भगवान के पास जा रहा है। कोई काम हो तो बताओ। साधक ने कहा-भगवान से पूछना, कितने जन्मों के बाद मुझे मुक्ति मिलने वाली है? मेरी साधना को देखते हुए लगता है-इसी जन्म में मैं मुक्त हो जाऊंगा। नारद ने कहा-ठीक है। वह आगे बढ़ा। एक नए संन्यासी ने भी नमस्कार कर अपना प्रश्न रखा-मैंने मुक्ति के लिए साधना शुरू की है, मैं जानना चाहता हूं कि मेरी मुक्ति कब होगी? नारद चले गए। दूसरे दिन वापिस आए। बूढ़े साधक से मिले। साधक ने पूछा-मेरा काम कर दिया। हां। बताएं, मेरी मुक्ति कब होगी? भगवान् ने कहा है-तीन जन्मों के बाद तेरी मुक्ति होने वाली है। तीन जन्म!! साधक गुस्से में बोल उठा-भगवान् झूठा है।
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