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समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा है तो मात्र रूढ़ि के रूप में चलता है। मंदिर-मस्जिद, स्थानक आदि बने हए हैं, उनमें चले जाओ और रूढ़ क्रियाकाण्ड कर लो किंत अपनी वृत्तियों को कैसे बदला जाए? कैसे इन आवेशों को कम किया जाए? इनका उपाय क्या है? यह बात न बताई जाती है और न ही इस बात को जानने का प्रयत्न किया जाता है। धर्म करते-करते एक व्यक्ति ५०-६० वर्ष का हो जाता है, जब उससे पूछा जाता है- भाई! क्या बदलाव आया? उसका उत्तर होता है-पहले युवक था तब गुस्सा कम आता था। अब बूढ़ा हो गया हूं, नियंत्रण की शक्ति भी नहीं रही है, ज्यादा गुस्सा आता है। मैंने देखा है- बढ़े आदमियों में लालच-लोभ की वृत्ति भी बहत होती है। वे सोचते हैं- जितना बटोर सकें, बटोर लें फिर तो मरना ही है। जैसे-जैसे नाड़ी-तन्त्र शिथिल होता है, नियंत्रण की क्षमता कम होती चली जाती है, आवेश और ज्यादा बढ़ते चले जाते हैं। समाधान है दीर्घश्वास का प्रयोग
हम इन्हें कम करने की राह खोजें। यदि हमारे पास चाबियां हैं तो हम ताला खोल सकते हैं। दीर्घश्वास का प्रयोग एक समाधान है। हम लम्बा श्वास लें, आवेश शांत होगा। दीर्घश्वास के प्रयोग से ये आवेश-क्रोध, अहंकार और लोभ शांत होंगे। क्रोध तभी आता है जब आदमी छोटा श्वास लेता है या जब क्रोध आता है तो वह श्वास को छोटा बना देता है। 'श्वास की संख्या, जो साधारण स्थिति में १५/१६ होनी चाहिए, क्रोध के हालात में बढ़ती चली जाती है, वह संख्या एक सेकण्ड में ३०/५० तक चली जाती है। आवेश आता है, श्वास की संख्या बढ़ जाती है। आवेश शांत होता है, श्वास की संख्या घट जाती है। जब हम लंबे श्वास लेंगे, हमारी चेतना श्वास के साथ जुड़ जाएगी। इसका अर्थ है-चेतना क्रोध के साथ नहीं जड़ेगी, क्रोध का उपशमन हो जाएगा। चेतना अहंकार के साथ नहीं जड़ेगी, अहंकार का उपशमन हो जाएगा, चेतना लोभ के साथ नहीं जुड़ेगी, लोभ का उपशमन हो जाएगा। जब-जब हमारी चेतना इन आवेशों के साथ जड़ती है तब हमारी चेतना स्वयं क्रोध बन जाती है, अहंकार बन जाती है, लोभ बन जाती है। विश्लेषण करें
एक उपाय है- विश्लेषण। संश्लेषण नहीं, विश्लेषण करें। क्रोध और चेतना को अलग-अलग कर दें। मिट्टी को अलग कर दें, सोने को अलग कर दें। छाछ को अलग कर दें, मक्खन को अलग कर दें। यदि हम यह विश्लेषण निरन्तर करते रहें तो आवेश शांत हो सकते हैं। इस प्रक्रिया में दीर्घश्वास का वही काम है जो काम बिलौना करने का है। यदि छाछ को अलग करना है और नवनीत को अलग करना है तो बिलौने की प्रक्रिया
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