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सृष्टिवाद / ५९
१. औदारिक वर्गणा २. वैक्रिय वर्गणा ३. आहारक वर्गणा ४. तैजस वर्गणा ५. कार्मण वर्गणा ६. श्वासोच्छ्वास वर्गणा ७. भाषा वर्गणा ८. मनोवर्गणा।
धवला में वर्गणा के तेईस प्रकार बतलाए गए हैं। विशेषावष्यक भाष्य में वर्गणाओं के संख्येय, असंख्येय और अनन्त प्रकार बतलाए गए हैं। एक गुण कृष्ण वर्ण वाले परमाणु अथवा स्कंध की एक वर्गणा होती है। दो गुण कृष्ण वर्ण वाले परमाणु अथवा स्कंध की एक वर्गणा होती है। इस प्रकार तीन, चार, संख्येय, असंख्येय यावत अनंत परमाणु अथवा स्कंध की एक-एक वर्गणा होती है। इसी प्रकार पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस, आठ स्पर्श-इन सबके अनंत-अनंत विकल्प बन जाते हैं।
औदारिक शरीर की वर्गणा में एक परमाणु की कमी अथवा एक परमाणु अधिक हो तो औदारिक शरीर के निर्माण में उसका उपयोग नहीं हो सकता।
इन पुद्गल वर्गणाओं से पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति-इन एक इन्द्रिय वाले जीवों के शरीर का निर्माण होता है। इसी प्रकार द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीवों के शरीर का निर्माण होता है। इन वर्गणाओं में कुछ स्थूल होती हैं, और कुछ सूक्ष्म । आचार्य कुन्दकुन्द ने स्कंध के छह विकल्प बतलाए हैं
१. अति-स्थूल २. स्थूल ३. स्थूल-सूक्ष्म ४. सूक्ष्म-स्थल ५. सूक्ष्म
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