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________________ सृष्टिवाद / ५७ जिनकी गणना नहीं की जा सकती। असंख्य योग बनते हैं और असंख्य पदार्थ बनते चले जाते हैं। छठा प्रश्न है-क्या यह यौगिक जगत बदलता ही रहता है? कहा गया- ऐसा नहीं है। निरन्तर परिवर्तन के बीच भी एक तत्त्व ऐसा है, जो अपरिवर्तित रहता है। जीव और अजीव-दोनों में परिवर्तन का चक्र चल रहा है किन्तु दोनों के बदलाव में एक न बदलने वाला तत्त्व भी बैठा है। जैन दर्शन में तीन तत्वों का प्रतिपादन किया गया-उत्पाद, व्यय और घौव्य। पदार्थ उत्पन्न होता है, विनष्ट होता है और ध्रुव भी रहता है। एक ध्रुव तत्त्व ऐसा है, जो उत्पाद और व्यय के बीच में बैठा है। वैदिक दर्शनों ने सृष्टि का उत्पाद और लय माना। सृष्टि की उत्पत्ति होती है और उसका लय होता है मूल कारण में। मूल कारण है ईश्वर या ब्रह्म। वह स्थायी रहता है। अगर हम कल्पना को निकट लायें तो उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य तथा ईश्वर, लय या उत्पत्ति को एक दृष्टि से देख सकते हैं। सातवां प्रश्न है-यह पृथ्वी कब से बनी? जब से जीव और अजीव का अस्तित्व है तब से पृथ्वी का अस्तित्व है। हमारा सौरमण्डल कितना बड़ा है? हमारी नीहारिकाएं कितनी बड़ी हैं? जो सौरमण्डल दिखाई दे रहा है, जो नीहारिकाएं दिखाई दे रही हैं ऐसी असंख्य-असंख्य नीहारिकाएं और असंख्य सौरमण्डल इस जगत में विद्यमान हैं। विज्ञान भी इस तथ्य को स्वीकृति दे रहा है। एक ग्रह से दूसरे ग्रह के बीच की दूरी दो करोड़ अरब या खरब प्रकाश वर्ष है। एक प्रकाश वर्ष कितना बड़ा होता है। इतना विराट है हमारा यह ब्रह्माण्ड, जगत या विश्व। इसमें निरन्तर परिर्वतन होता रहता है, पृथ्वी भी बदलती रहती है। आकाश अटल रहता है, वह कभी बनता या बिगड़ता नहीं है। वह अपने स्वभाव में बदलता है, किन्तु बाहर में नहीं बदलता। प्राणी जगत भी बदलता रहता है। एक समय इस पृथ्वी पर जिन प्राणियों का साम्राज्य था, वह समाप्त हो गया। दो करोड़ वर्ष, चार करोड़ वर्ष पहले जिन प्राणियों का साम्राज्य था, आज उन प्राणियों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया। दूसरे प्राणी आ गए। प्राणियों की जातियां और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003070
Book TitleJain Darshan ke Mul Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2001
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size7 MB
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