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११० / जैन दर्शन के मूल सूत्र
मेडिकल साईंस का भी यह महत्वपूर्ण विषय है-यदि मस्तिष्क दुर्बल है तो मानसिक शक्ति भी कमजोर होगी। कोई मानसिक आघात लगा, हृदय की बीमारी हो गई। नंदी सूत्र में कहा गया- भाव शरीर की बीमारियों को पैदा करता है। लीवर खराब होने से व्यक्ति चिड़चिड़ा बन जाता है। लीवर खराब है तो भाव प्रभावित हो जाएगा और भाव स्वस्थ नहीं है तो लीवर अप्रभावित नहीं रह पाएगा। दोनों का परस्पर गहरा सम्बन्ध है। जीव को समग्र दृष्टि से देखें तो दर्शन, विज्ञान, मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी इसकी चर्चा समानरूप से उपयोगी है। जिसका फलित हैजीव और शरीर, भाव और शरीर, मन और शरीर परस्पर जुड़े हुए हैं, पृथक् होते हुए भी एक दूसरे से गुंथे हुए हैं।
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