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सापेक्ष सत्य
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पड़ोसी आया। लाठी को घुमा घड़े फोड़ डाले। किसान भुनभुनाया तो वह बोला- 'तेरी भैंस मेरा खेत चर गई। किसान ने कहा-'मेरे घर भैंस है ही नहीं, फिर तुम्हारा खेत कहां से चर गई? पड़ोसी बोला-'अभी भैंस ही नहीं है तो फिर मलाई की लड़ाई कैसी?
यह भविष्य से प्रभावित वर्तमान है और नैगम नय का एक चरण ।
जब मैं पदार्थ-परिवर्तन की प्रक्रिया को देखता हूं तो मुझे दिखाई देता है संघटन और विघटन का लीलाचक्र। सिन्धु और क्या है? बिन्दु-बिन्दु का संघटन। बिन्दु और क्या है? सिन्धु का विघटन। संघटन में विस्तार है। उसकी अपनी उपयोगिता है। जल-पोत बिन्दु पर नहीं तैर सकते। विघटन में संक्षेप है। उसकी अपनी उपयोगिता है। चिड़िया की चोंच में सिन्धु नहीं समा सकता। इसीलिए सिन्धु भी सत्य है और बिन्दु भी सत्य है।
कपड़े का अपना उपयोग है। वह सर्दी से, धूप से बचाता है। धागे का अपना उपयोग है। वह दो को सांधता है। पर सांधने में कपड़े का और सर्दी से बचाने में धागे का कोई उपयोग नहीं है। इसीलिए कपड़ा भी सत्य है और धागा भी सत्य है। इन दो सापेक्ष सत्यों की स्वीकृति महावीर का संग्रह और व्यवहार नय है। ____ मेरी दृष्टि के सामने एक उपवन है। उसमें पचासों गुलाब के पौधे हैं-आकर्षक और मनोरम। उनमें बहुरंगी फूल बड़े लुभावने हैं। उनसे सौरभ फूट रही है। उपवन में आने वाला हर व्यक्ति उन्हें ललचाई आंखों से देखता है। ___ मैं कुछ वर्षों बाद देखता हूं, वह उपवन उजड़ रहा है। माली की उंगलियां जल-सेक से विरत हो गई हैं। पौधे सूख गए हैं। उस ओर आने वाला हर व्यक्ति उन्हें दया की दृष्टि से देखता है।
गुलाब के पौधों का अतीत का वैभव असत् हो गया है। अब सत् है उनका भंग। यह वर्तमान सत्य महावीर का ऋजुसूत्र नय है। ___एक संगोष्ठी हो रही थी। एक प्रवचनकार शास्त्र का निरसन कर रहे थे। मैंने मन-ही-मन सोचा, शास्त्र का समर्थन भी शास्त्र के द्वारा होता है और शास्त्र का निरसन भी शास्त्र के द्वारा होता है। यदि शब्दात्मक ज्ञान नहीं होता तो कौन किसका समर्थन करता और कौन
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