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१५४ मैं : मेरा मन : मेरी शान्ति
मनः शुद्धि के साथ दृढ़ता से एक विचार पर ध्यान केन्द्रित करने से हम विचार संप्रेषण भी कर सकते हैं ।
५. स्नायविक तनाव का विसर्जन
स्नायविक तनाव के विसर्जन को ही दूसरे शब्दों में शिथिलीकरण कहा जा सकता है । उसकी आवश्यकता तब होती है जब शरीर में तनाव हो । इसलिए शिथिल होने के लिए यह समझना आवश्यक है कि तनाव क्या तथा वह क्यों पैदा होता है?
आजकल तनाव शब्द बहुप्रचलित हो गया है । क्योंकि उद्योगीकरण जितना बढ़ रहा है, उससे मानसिक तनाव भी उतने ही बढ़ रहे हैं । पिछले चातुर्मास में जापान के सहायक राजदूत आचार्यश्री के पास आए थे । आचार्यश्री ने उनसे प्रश्न किया, 'क्या आप भी कभी शिथिलीकरण - कायोत्सर्ग करते हैं? उन्होंने बताया, 'हमारे देश में तो कायोत्सर्ग बहुत प्रचलित है।' इसी प्रकार अमेरिका तथा जर्मनी के विशेषज्ञों ने भी बताया कि कायोत्सर्ग के बिना हमारे देश में तो जीना भी बहुत कठिन है। बल्कि जापान में तो विश्वविद्यालय से निकलने वाले अधिकांश विद्यार्थियों को छह महीने के लिए एकान्त में इसका प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है । उसके बाद ही वे कर्मक्षेत्र में उतरते हैं । यही कारण है कि वहां के लोग बहुत परिश्रमी होते हैं । उन्होंने बताया कि भारतीय लोग बोलते अधिक हैं, काम कम करते हैं । इसका प्रमुख कारण यही है कि यहां के लोग कायोत्सर्ग नहीं करते। इसीलिए इनमें अनुशासन का भाव भी कम होता है ।
यह सच है कि श्रम से तनाव बढ़ता है। यह भी सच है कि शारीरिक श्रम से उतना तनाव नहीं बढ़ता जितना कि मानसिक उलझनों से बढ़ता है । मानसिक तनाव के प्रमुख कारण हैं-भय, घृणा, क्रोध, कपट आदि ।
भय- इससे मनुष्य में अस्वाभाविक वृत्तियां पैदा होती हैं । सचमुच भय के परिणाम कल्पनातीत होते हैं । मनोवैज्ञानिकों ने भी इस पर बहुत प्रकाश डाला है । भय के बारे में अनेक अनुसंधान हुए हैं। आयुर्वेदिक
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