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________________ १५२ मैं : मेरा मन : मेरी शान्ति बाह्य-जगत् से हमारा सम्पर्क होता है। रूप और संस्थान भी सम्पर्क के माध्यम हैं। शब्द के माध्यम से भी हमारा बाह्य-जगत् से सम्बन्ध जुड़ता है। मन का बाह्य से सीधा सम्पर्क नहीं होता। वह इन्द्रियों के माध्यम से होता है। बुद्धि और मन में भेद क्या है? बुद्धि और मन एक ही चेतना के तारतम्य रूप हैं। सूर्य एक है, पर उसका प्रकाश खण्ड-खण्ड होकर खिड़की आदि अनेक द्वारों से आता है। उससे अनेक द्वारों के अनेक रूप बन जाते हैं। वर्षा का एक ही जल तालाब, गड्ढे और समुद्र में जाकर भिन्न-भिन्न रूप ले लेता है। जयाचार्य ने लिखा है-एक चौकी रेत में दब गई। कहीं से खोदा तो उसका एक कोना दिखाई दिया। दूसरी ओर खोदने से दूसरा कोना दिखाई दिया। चार कोने चार वस्तुएं बन गईं। पूरी खुदाई से वह एक अखण्ड चौकी हो गई। वैसे ही हमारी चेतना का जितना आवरण हटता है, वहां उनका रूप भिन्न-भिन्न हो जाता है। बुद्धि, इन्द्रिय और मन एक ही चेतना के तारतम्य रूप हैं। वास्तव में साम्यावस्था ही मनःशुद्धि है। सामायिक का भी यही अर्थ है। साधु जीवन एक प्रकार से सामायिक ही है पर उसमें भी साम्य की विशेष साधना की अपेक्षा है। इसलिए उपाध्याय यशोविजयजी ने कहा-'अनुत्तरं साम्यमुपैति योगी'। योगी जन विशेष साम्य का अनुभव करते हैं। विषमता के अनेक हेतु हैं-सम्मान, अपमान, आज्ञा, अनुशासन आदि। जब तक ये मानदण्ड रहते हैं तब तक पुत्र यदि पिता की आज्ञा नहीं मानता है तो पिता को गुस्सा आ जाता है, क्योंकि यह उसके सम्मान को ठेस है। पत्नी यदि पति की अवज्ञा कर देती है तो पति की शान्ति भंग हो जाती है। इसलिए जब तक ये मानदण्ड नहीं बदलते तब तक मानसिक समाधि नहीं रह सकती। सृष्टि का स्वरूप ही द्वन्द्वात्मक है। लाभ-अलाभ, सुख-दुःख, मान-अपमान, जीवन-मृत्यु आदि विरोधी युगल हमारे सामने हैं। इसीलिए योगी को इनमें सम रहने का उपदेश किया गया है। लाभ में हर्ष और और अलाभ में खेद विषमता का प्रतीक है। समता आत्मानन्द है। पर इसका यह अर्थ नहीं कि समता से मनुष्य प्रवृत्ति-शून्य हो जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003068
Book TitleMain Mera Man Meri Shanti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size9 MB
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