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१०८ मैं : मेरा मन : मेरी शान्ति भारी होना अशान्ति का लक्षण है। दिमाग का हल्का होना शान्ति का लक्षण है।
आज के औद्योगिक युग में चारों ओर तनाव बढ़ रहा है-स्नायविक तनाव, मानसिक तनाव, व्यावहारिक तनाव और व्यावसायिक तनाव। तनाव और तनाव से उत्पन्न होने वाला पागलपन। क्या लाघव के सिवा इसकी कोई चिकित्सा हो सकेगी?
__घड़ा अपने लिए भरने और उतना भार ढोने की बात समझ में आ सकती है, पर तालाब को अपने ही लिए बनाने की बात समझ में नहीं
आ सकती। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे केवल अपनी शान्ति और प्रसन्नता को ही दियासलाई नहीं दिखा रहे हैं किन्तु समूचे समाज की शान्ति और प्रसन्नता की होली जला रहे हैं।
२१. सत्य
सत्य बहुत विराट् है। विराट को शब्दों में बांधना एक साहसिक प्रयत्न है। आदमी अनन्त आकाश को बांध अपना घर बना लेता है। अनन्त में फैली हुई सूरज की रश्मियों को ग्रहण कर उसे आलोकित कर लेता है तब सत्य के अंचल का स्पर्श कर हम क्यों नहीं विराट् विभूति की अनुभूति कर सकते?
आग्रह के लोहावरण को तोड़े बिना क्या कोई सत्य तक पहुंचा है? जिसने अपनी धारणा की खिड़की से सत्य को देखा, वह सत्य से दूर भागा है। जिसने तथ्यों की खिड़की से सत्य को देखने का प्रयत्न किया, वह सत्य के निकट पहुंचा है.
एक कुलवधू रस्सी से पीपल को बांधकर खींच रही थी। उसके हाथ रक्तरंजित हो रहे थे। शरीर कांप रहा था। आंखों से अविरल आंसू टपक रहे थे। फिर भी हठी पीपल एक पग भी नहीं सरक रहा था। एक पथिक उधर से आया। उसने सारा दृश्य देखा। वह शान्त स्वर से बोला-'बहन! क्या कर रही हो? 'भैया? सास ने पीपल मंगाया है, इसलिए इसे घर ले जाने का प्रयत्न कर रही हूं। पर यह बहुत हठी है। मेरी एक भी बात नहीं मानता।' कलवध ने फिर एक बार रस्सी को
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