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लाघव १०७
वातावरण में दबाव, तनाव और भार की अनुभूति होती है। जब धन का अवगाह-क्षेत्र व्यापक हो जाता है, तब वातावरण दबाव, तनाव और भार की अनुभूति से शून्य हो जाता है। इसीलिए भगवान् महावीर ने कहा था, 'ऋद्धि-गौरव-धन को अपना मानने से आदमी बोझिल बनता है और ऋद्धि-लाघव से वह हल्का बनता है।'
जब खाद्य-सामग्री केन्द्रित हो जाती है, कुछेक लोगों के हाथों में जमा हो जाती है, तब वातावरण में दबाव, तनाव और भार की अनुभूति होती है। जब खाद्य सामग्री विकेन्द्रित हो जाती है, सबके हाथों में पहुंच जाती है, तब वातावरण दबाव, तनाव और भार की अनुभूति से शून्य हो जाता है। इसीलिए भगवान् महावीर ने कहा था, 'रस-गौरव-खाद्य को अपना मानने से आदमी बोझिल बनता है और रस-लाघव से वह हल्का बनता है।' ___ जब सुख की अनुभूति केन्द्रित हो जाती है, अपनी सुख-साधना में दूसरों की कठिनाइयों की अनुभूति मिट जाती है, तब वातावरण में दबाव, तनाव और भार की अनुभूति होती है। जब सुख की अनुभूति व्यापक हो जाती है, दूसरों की कठिनाइयां बढ़ाने में रस नहीं रहता, तब वातावरण दबाव, तनाव और भार की अनुभूति से शून्य हो जाता है। इसीलिए भगवान् महावीर ने कहा था, 'सुख-गौरव-सुख को अपना मानने से आदमी बोझिल बनता है और सुख-लाघव से आदमी हल्का बनता है।'
एक पद-यात्री से पूछिए, वह हल्का होकर चलना चाहता है या बोझ से लदकर? उत्तर मिलेगा, 'हल्का होकर चलना चाहता हूं।' हम अपने मस्तिष्क पर कितना भार लादते हैं। एक गधा जितना भार नहीं ढोता, उतना भार हम कल्पनाओं का ढोते हैं। जितना भार एक ऊंट नहीं ढोता, उतना भार हम योजनाओं का ढोते हैं। जितना भार एक हाथी नहीं ढोता, उतना भार हम मान्यताओं का ढोते हैं। बहुत लोग कहते हैं, मन में शान्ति नहीं है, प्रसन्नता नहीं है। वे शान्ति चाहते हैं पर दिमाग का बोझ हल्का करना नहीं चाहते। वे प्रसन्नता चाहते हैं, पर दिमाग का बोझ हल्का करना नहीं चाहते। शरीर का भारी होना ज्वर का लक्षण है। शरीर का हल्का होना स्वास्थ्य का लक्षण है। दिमाग का
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