SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुक्ति १०१ १७. मुक्ति एक संस्कृत-कवि की सम्मति है कि इस दुनिया में बन्धन बहुत हैं पर प्रेम-रज्जु जैसा गाढ़ बन्धन कोई नहीं है। भौंरा काठ को भेदकर निकल जाता है, किन्तु कोमलतम कमल-कोष को भेदकर नहीं निकल पाता। सूर्यविकासी कमल था। मध्याह्न में वह खिल उठा। एक भौंरा आया और उसके पराग में लुब्ध हो गया। वह बार-बार उस पर मंडराता रहा। अन्त में उसके मध्य में जाकर बैठ गया। सन्ध्या हो गई, फिर भी वह नहीं उड़ा। कमल-कोष सिकुड़ गया और भौंरा उसमें बन्दी बन गया। प्रेम से कौन बन्दी नहीं बना? दूसरों के प्रति प्रेम होता है, वह बांधता है और अपने प्रति प्रेम होता है, वह मुक्त करता है। बन्धन का अर्थ है दूसरों की ओर प्रवाहित होने वाला प्रेम और मुक्ति का अर्थ है अपने अस्तित्व की ओर प्रवाहित होने वाला प्रेम। यह स्वार्थ की संकुचित सीमा नहीं है। यह व्यक्तित्व की सहज मर्यादा है। जिसे अपने अस्तित्व का अनुराग है, वह दूसरों को बन्धन में नहीं डाल सकता। दूसरों को वे ही लोग बांधते हैं, जो अपने अस्तित्व के प्रति उदासीन होते हैं। मनुष्य अपने मनोरंजन के लिए तोते को पिंजड़े में डालता है। चिड़ियाघर की सृष्टि क्यों हुई? मनुष्य अपने में अनुरक्त नहीं है, इसलिए वह दूसरों को बन्धन में डाल अपना मनोरंजन करता है। एक आदमी को अपने पड़ोसी से अनबन हो गई। उसके मन में क्रोध की गांठ घुल गई। वह जब कभी पड़ोसी को देखता, उसकी आंखें लाल हो उठतीं। यह द्वेष का बन्धन है। __ एक बुढ़िया शरीर में कृश होने लगी। पुत्र ने पूछा, 'मां! क्या तुम्हें कोई व्याधि है? 'नहीं, बेटा! कोई व्याधि नहीं है।' 'फिर यह कृशता क्यों आ रही है? 'बेटा! अपने पड़ोसी के घर में बिलोना होता है, उससे मुझे बहुत पीड़ा होती है। मथनी की इंडियां उस बिलोने में नहीं, मेरी छाती में चलती हैं। इसलिए मेरा शरीर कृश हो रहा है।' यह ईर्ष्या का बन्धन है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003068
Book TitleMain Mera Man Meri Shanti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy