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________________ धर्म से आजीविका : इच्छा - परिणाम 1 भगवान् महावीर ने कहा- 'इच्छा आकाश के समान अनन्त है ।' यह धार्मिक दृष्टि से जितना सत्य है उतना ही अर्थशास्त्रीय दृष्टि से सत्य है । अर्थशास्त्र के अनुसार मांग से आवश्यकता का क्षेत्र बड़ा होता है । आवश्यकता मनुष्य की उस इच्छा को कहते हैं, जिसको पूरा करने के लिए उसके पास पर्याप्त धन हो और साथ ही वह मनुष्य उस धन को खर्च करने के लिये तैयार भी हो। मांग उस आवश्यकता को कहते हैं जिसकी संतुष्टि की जा चुकी है। इच्छा का क्षेत्र आवश्यकता से भी बड़ा होता है। सभी इच्छाएं आवश्यकताएं नहीं हो सकती, जब कि सभी आवश्यकताएं इच्छाएं अवश्य होती हैं । इच्छा से आवश्यकता का क्षेत्र संकुचित और मांग का क्षेत्र उससे भी संकुचित होता है । माँग आवश्यकताएं इच्छाएँ इच्छा नैसर्गिक होती । आवश्यकताएं भौगोलिक परिस्थिति, सामाजिक रीति-रिवाज, शारीरिक अपेक्षा, परिस्थिति और धार्मिक भावना के द्वारा निर्धारित होती हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003067
Book TitleMahavira ka Arthashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2007
Total Pages160
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size7 MB
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