________________
महावीर का अर्थशास्त्र
महावीर का साध्य था - आध्यात्मिक विकास । गाधी का साध्य रहा आध्यात्मिक विकास और साथ- साथ में सर्वोदयी या ग्राम्यव्यवस्था, विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था का विकास किन्तु मूलत: साध्य उनका आध्यात्मिक विकास ही था ।
मार्क्स का साध्य रहा - आर्थिक विकास। उनका सारा दर्शन इस पर केन्द्रित है कि अर्थ का विकास कैसे हो ? उनके लिए शेष सब गौण हो गया पर सबको सब कुछ मिले, यह उनका प्रयत्न रहा । केनिज का भी लक्ष्य आर्थिक विकास रहा। इस अर्थ में महावीर और गांधी दोनों एक कोटि में तथा मार्क्स और केनिज दूसरी कोटि में आ जाते हैं
1
८०
साधन का चुनाव
चौथा पैरामीटर है साधन का चुनाव। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है । साध्य कभी-कभी एक भी हो जाते हैं, किन्तु साधन में बड़ी दूरी आ जाती है। महावीर ने अपने साध्य की संपूर्ति के लिए साधन चुना — अहिंसा, अपरिग्रह और संयम । महात्मा गांधी ने साधन का चुनाव सत्य और अहिंसा के रूप में किया। मार्क्स ने साधन के चुनाव में संदर्भ में अपनी नीति स्पष्ट करते हुए कहा - ' हमारा साध्य है आर्थिक विकास, गरीबी को मिटा कर गरीबों की पीड़ा को दूर करना । अहिंसा से इसकी संपूर्ति होती है तो अच्छी बात है, किन्तु नहीं होती है तो हिंसा का आलम्बन लेने में भी हिचकना नहीं है, संकोच नहीं करना है।' उसका स्पष्ट मत था - ' -'बुर्जुवा वर्ग कभी भी अपने अधिकार को छोड़ना नहीं चाहेगा। वर्ग संघर्ष अनिवार्य है और उसमें हथियारों का उपयोग भी अवश्यंभावी है।'
साधन - शुद्धि की विचारधारा
महावीर और गांधी दोनों साधन-शुद्धि पर बल देते हैं । भारतीय चिंतन में सबसे अधिक बल साधन-शुद्धि दिया है महावीर ने । साधन- -शुद्धि नहीं है तो उनके लिए कुछ भी काम्य नहीं है । मनसा, वाचा, कर्मणा, हमारा साधन शुद्ध होना चाहिए। इतिहासकाल में महावीर के पश्चात् आचार्य भिक्षु, जो तेरापंथ के प्रवर्त्तक हैं, ने साधन - शुद्धि के विषय में विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने कहा- जहां साधन-शुद्धि नहीं है, हृदय परिवर्तन नहीं है, वहां अच्छे साध्य को कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता। फिर महात्मा गांधी ने भी साधन-शुद्धि पर व्यापक बल दिया। इन दोनों के विचारों का संबंध जुड़ता है। गुजरात के एक लेखक हैं गोकुलभाई नानजी । उन्होंने अपनी एक पुस्तक में लिखा- 'आचार्य भिक्षु के चतुर्थ पट्टधर जयाचार्य के
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org