________________
महावीर का अर्थशास्त्र शताब्दी का स्वागत एक अरब तीस करोड़ की जनसंख्या के साथ करेगा। जब जनसंख्या बढ़ती है तब पदार्थ पर भी असर आता है, गरीबी और अभाव की समस्या भी उलझती है, पर्यावरण की समस्या भी जटिल बनती है। क्यों बढ़ती है आबादी?
एक बड़ा प्रश्न रहा-आबादी की बढ़त कैसे रुके? आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व आबादी बहुत कम थी। आबादी के घटने-बढ़ने में भी कुछ कारण बनते हैं। प्रत्येक हानि और लाभ के पीछे महावीर ने चार कारण बतलाए-द्रव्य, क्षेत्र, काल
और भाव । हानि और लाभ में ये चारों निमित्त बनते हैं। जैन साहित्य में उल्लेख है—भगवान ऋषभ के बाद तीर्थंकर अजित का समय ऐसा आया, जब आबादी सबसे ज्यादा बढ़ी। जनसंख्या वृद्धि में कालखण्ड भी निमित्त बनता है।
ऐसा लगता है-गरीबी और जनसंख्या में भी कोई निकट का सम्बन्ध है। गरीब के संतान ज्यादा होती है क्योंकि कपोषण में आबादी ज्यादा बढ़ती है। विकसित राष्ट्रों में आबादी की बढ़त का अनुपात कम है, अविकसित और निर्धन राष्ट्रों में आबादी की बढ़त का अनुपात ज्यादा है । प्राचीन संस्कृत साहित्य में एक प्रसंग आता है-दरिद्रता दुःखतर है और उसके साथ जुड़ा दुःख है संतान का आधिक्य । दारिद्रता की पीड़ा और संतति के आधिक्य की पीड़ा-दोनों ओर से आदमी पीड़त होता है। जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण हो सकते हैं, किन्तु कालखण्ड का प्रभाव और कुपोषण-ये दोनों जनसंख्या वृद्धि के सबसे प्रमुख कारण बनते हैं। अतीत : वर्तमान ____ढाई हजार वर्ष पूर्व समस्या नहीं थी। गरीबी थी, कुछ अंशों में बेरोजगारी थी, किन्तु जनसंख्या अधिक नहीं थी। व्यवस्था ग्राम पर निर्भर थी। लोग गांव में ही काम चला लेते, वहीं सब कुछ बना लेते। गांव में ही सारी सामान्य आवश्यकताएं पूरी हो जाती । उस समय बीमारियां भी बहुत ज्यादा नहीं थी। सामान्य बीमारियों का जंगलों की जड़ी-बूटियों से ही इलाज हो जाता था। __वर्तमान कालखण्ड में आबादी भी बहुत बढ़ गई है। उसकी पूर्ति के साधन भी नहीं है। गांव लगभग खाली हो रहे हैं और बड़े-बड़े नगर बस रहे हैं । महानगर की जनसंख्या एक करोड़ से भी अधिक है। सब कुछ निर्भर है गांव और गांव के परिपार्श्व पर । ऐसी अवस्था में बेरोजगारी की समस्या बढ़ी है। काम बहुत है, किन्तु
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org