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________________ महावीर का अर्थशास्त्र हिंसा और अशान्ति की जननी है। गरीबी कौन मिटाएगा? हर व्यक्ति की आकांक्षा होती है धनी बनने की। बड़े-बड़े कारखाने किसी को धनी नहीं बना सकते। ये लोहे की मशीनें दुनिया से गरीबी को नहीं मिटा सकती । गरीबी मिटेमी स्वदेशी की भावना से । मनुष्य शान्ति के साथ जीवन-यापन कर सके बस इतनी सी ही तो आकांक्षा है। उसके लिए कम्प्यूटर, रोबोट की सहायता क्यों ली जाए? लाओत्से कहीं जा रहे थे। जंगल में एक महिला रोती हुई मिली । लाओत्से रुक गए, पछा—'बहिन ! तम रो क्यों रही हो?' महिला ने कहा-'महाराज ! चीते ने मेरे लड़के को खा लिया। लड़के को ही नहीं, मेरे पति को भी वह खा गया।' लाओत्से ने कहा—'फिर इस जंगल में क्यों रहती हो?' वह बोली-'इसलिए कि यहां कोई क्रूर शासक नहीं हैं, शान्ति है यहां । जंगली जानवर कभी-कभी हानि पहुंचा देते हैं, किन्तु क्रूर शासक के अत्याचार से तो बचे हुए हैं।' _ आदमी शान्ति चाहता है। वही भंग हो जाए तो जीवन में सुख, समृद्धि और उल्लास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज की अर्थशास्त्रीय अवधारणा साधन भले ही उपलब्ध करा दे, वह अन्त:करण की संतुष्टि और आन्तरिक आनन्द नहीं प्रदान कर सकती। आज आवश्यकता है-अहिंसा और शान्ति की बात सामने रखकर अर्थशास्त्रीय अवधारणाओं का पुनरावलोकन करें, उन पर पुनर्विचार करें। यह पुनर्विचार ही अहिंसा और शांति के अर्थशास्त्र की आवश्यकता और उपयोगिता का बोध करा सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003067
Book TitleMahavira ka Arthashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2007
Total Pages160
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size7 MB
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