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केन्द्र में कौन - मानव या अर्थ ? प्रश्न केन्द्र और परिधि का . ___ एक ओर धन से मिलने वाला सुख है, दूसरी ओर शान्ति से मिलने वाला सुख है। भौतिकवाद के आधार पर धन सुख-यह समीकरण बनेगा। महावीर के अर्थशास्त्र का समीकरण होगा—धन की सीमा =शान्ति +सुख । व्रत, संयम और सीमाकरण के संदर्भ में हम महावीर के अर्थशास्त्रीय सिद्धान्तों का मूल्यांकन कर सकते हैं । इस सिद्धान्त का केन्द्रीकृत निष्कर्ष यह होगा-जहां व्रत है, संयम और सीमाकरण है, वहां अर्थशास्त्र के केन्द्र में मनुष्य रहता है, अर्थ दूसरे नम्बर पर रहता है। जहां ऐसा नहीं है, व्रत, संयम और नैतिकता का विचार नहीं हैं, वहां पदार्थ और अर्थ केन्द्र में रहेगा, मनुष्य पर्दे के पीछे । इस संदर्भ में वर्तमान की समस्या को, आर्थिक अपराधों को समझने में बहत सुविधा होगी। हम सरलता के साथ यह समझ सकते हैं आज क्यों आर्थिक भ्रष्टाचार बढ़ रहा है? क्यों आर्थिक अपराध बढ़ रहे हैं? क्यों सत्ता के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति आर्थिक आराधों में लिप्त होकर त्यागपत्र देने को बाध्य होता है ? जेल में जाने को विवश होता है ? जब तक मनुष्य परिधि में रहेगा, अर्थ केन्द्र में रहेगा, तब तक ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकेगा।
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