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केन्द्र में कौन • मानव या अर्थ ? कहा-जो भौतिकवाद है या भौतिकवादी दृष्टिकोण है, वह सर्वथा गलत है। यह सचाई है कि हमारा सारा जीवन पौद्गलिक है, पुद्गल के आधार पर चलता है। हम भौतिकवाद से हटकर केवल अध्यात्मवाद के आधार पर जीवनयात्रा को नहीं चला सकते । इसलिए उन्होंने एक समन्वित दृष्टिकोण पर बल दिया। कोरा भौतिकवाद नहीं, कोरा एकांगी दृष्टिकोण नहीं, किन्तु अनेकान्त का दृष्टिकोण, भौतिकवाद और अध्यात्मवाद—दोनों की समन्विति । केनिज के विचार ____ आधुनिक अर्थशास्त्र भौतिकवाद के आधार पर विकसित हुआ है। उसकी कठिनाई यह एकांगी दृष्टिकोण ही है । यदि एकांगी दृष्टिकोण नहीं होता तो वर्तमान में इतनी आर्थिक अपराध की स्थितियां नहीं बनतीं, आर्थिक स्पर्धा नहीं होती, उत्पादन
और वितरण में इतनी विषमता पैदा नहीं होती । आधुनिक अर्थशास्त्र के प्रमुख पुरुष केनिज कहते हैं-'हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है, सबको धनी बनाना है। इस रास्ते में नैतिक विचारों का हमारे लिए कोई मूल्य नहीं है।' उनका बहुत स्पष्ट कथन है-'यह नैतिकता का विचार न केवल अप्रासंगिक है, बल्कि हमारे मार्ग में बाधक भी है।
आज ज्वलन्त प्रश्न है भ्रष्टाचार का। बहुत सारे लोग भ्रष्टाचार की बात करते हैं, कहते हैं—आज भ्रष्टाचार बढ़ा है। जब अर्थशास्त्र की मूल धारणा यह है कि नैतिकता का विचार हमारे मार्ग में बाधक है तो फिर भ्रष्टाचार का रोना क्यों? इसमें आश्चर्य किस बात का है ? वर्तमान की अर्थशास्त्रीय अवधारणा के बीच यदि भ्रष्टाचार बढ़ता है, आर्थिक अपराध बढ़ते हैं, अप्रामाणिकता और बेईमानी बढ़ती है तो स्वाभाविक है। भ्रष्टाचार न बढ़े तो आश्चर्य की बात है। आधुनिक अर्थशास्त्र के आधार ___ इस समग्र पृष्ठभूमि के सन्दर्भ में वर्तमान के अर्थशास्त्र और भगवान महावीर के युग के अर्थशास्त्र के कुछ कोणों पर विचार करें। आधुनिक अर्थशास्त्र के तीन मुख्य आधार हैं
• इच्छा • आवश्यकता
मांग इच्छा को बढ़ाओ, आवश्यकताओं को बढ़ाओ और मांग को बढ़ाओ। तुलनात्मक दृष्टि से देखें-इच्छा का क्षेत्र व्यापक है । आवश्यकता का क्षेत्र उससे छोटा है और
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