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अहिंसा : व्यक्ति और समाज
देश युद्धातुर हों तो हम शान्ति से नहीं बैठ सकते। हम आर्थिक न्याय का लाभ तब तक नहीं उठा सकते, जबकि दूसरे शोषण करने में लगे हुए हों। हम सृजनात्मक रूप से मुक्त नहीं हो सकते यदि दूसरे दमनकारी हैं। हम प्रकृति के साथ एकरूप होकर तब टिकें नहीं रह सकते या जीवित ही नहीं रह सकते, जब तक कि दूसरे लोग इस एकरूपता को नष्ट करने में लगे हुए हैं। यदि दूसरे लोग हिंसात्मक तरीके से तोड़-फोड़ में लगे रहेगें तो हम शान्तिपूर्ण सहयोग का जीवन नहीं बिता सकते ।
____ अहिंसा के अध्ययन के लिए स्थापित एक सार्वभौम संस्था विश्व की समस्त समस्याओं का हल नहीं कर सकती, किन्तु इनकी जानकारी प्राप्त करने तथा इनको हल करने का ज्ञान प्राप्त करने में यह अवश्य हमारी सहायता कर सकती है। यह विश्व में ऐसे प्रत्युत्तरात्मक संसाधनों को जन्म दे सकती है, जो अहिंसावादी आध्यात्मिक मूल्य और अहिंसावादी वैज्ञानिक निष्कर्ष संयुक्त रूप से कार्य करते हुए शोध, शिक्षा और कार्यों में नेतृत्व की पहल-शक्ति उत्पन्न करते हैं। यह आज मानवता के कल्याण एवं अस्तित्व को खतरा उत्पन्न करने वाली भारी समस्या का समाधान कर सकती है। यह इस बात के लिए, कि अहिंसक विकल्प भी सम्भव है, हमारे विश्व-स्तर के नेताओं एवं नागरिकों में आत्म-विश्वास जागृत कर सकती है। यह संस्था अहिंसावादी मानवीय भविष्य के स्वप्न को साकार करने के लिए अन्तःसाम्प्रदायिक, अन्त:सांस्कृतिक एवं अन्तःसकायी क्षमता एवं प्रतिबद्धता के प्ररणादायक प्रतीक के रूप में कार्य कर सकती है।
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