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________________ अहिंसा का प्रशिक्षण अहिंसा का प्रशिक्षण : अनुप्रेक्षा के प्रयोग ___व्यक्तित्व के रूपांतरण के लिए अनुप्रेक्षा के प्रयोग बहुत सफल रहे हैं। इस प्रयोग में मस्तिष्क और पूरे शरीर को शिथिल कर सुझाव दिये जाते हैं, साथ-साथ रंगों का ध्यान भी किया जाता है । ध्वनि और रंग-ये दोनों अन्तश्चेतना या अवचेतन मन को प्रभावित करते हैं, पुराने संस्कारों और अजित आदतों का क्षय हो जाता है, नए संस्कारों और नई आदतों के निर्माण की भूमि प्रशस्त हो जाती है । नौ चरणों में सम्पन्न होने वाला यह प्रयोग संकल्प-शक्ति, आत्म-विश्वास और आत्म-निरीक्षण की क्षमता को जागृत करता है । अहिंसा के विकास के लिए पांच अनुप्रेक्षाओं का अभ्यास अनिवार्य अभय की अनुप्रेक्षा सहिष्णुता की अनुप्रेक्षा करुणा की अनुप्रेक्षा मैत्री की अनुप्रेक्षा स्वावलम्बन की अनुप्रेक्षा । शिक्षा और अहिंसा अहिंसा के प्रशिक्षण को व्यापक बनाने के लिए उसे शिक्षा के साथ जोड़ना आवश्यक है । सामाजिक स्वास्थ्य, वैयक्तिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए अहिंसा का प्रशिक्षण सर्वाधिक आवश्यक है । शिक्षा में उसकी इतनी उपेक्षा क्यों की गई, इसका उत्तर मुझे नहीं मिल रहा है । अन्तर्राष्ट्रीय तनाव और शस्त्रीकरण ने मानव-समाज को इस सच्चाई की ओर दृष्टिपात करने के लिए विवश किया है। इस विवशता में जो स्ववशता निकली है, वह सुनहले भविष्य के लिए सुनहला वर्तमान है। १६ नवम्बर, १९६० में जो अहिंसा का अभिलेख लिखा गया, वह इस युग के इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटना है । नाटो तथा वारसा संधि देशों के चौतीस राष्ट्राध्यक्षों ने युगान्तरकारी निःशस्त्रीकरण संधि पर हस्ताक्षर कर शीतयुद्ध को अन्तिम विदाई दे दी । शीतयुद्ध का वातावरण नई साझेदारी और आपसी मैत्री में बदल गया । इससे पूर्व मध्यम दूरी के लघु प्रक्षेपास्त्रों के परिसीमन की संधि कर सोवियत राष्ट्रपति गोर्बाच्योव और अमेरिकी राष्ट्रपति ने नया अध्याय खोला था। निष्कर्ष साफ है कि शीतयुद्ध, भय, तनाव और शस्त्रीकरण के वातावरण में विश्व की व्यवस्था सम्यक् प्रकार से चल नहीं सकती। आखिर हिंसा से अहिंसा की ओर प्रस्थान करना ही होता है । यदि अहिंसा की शिक्षा स्कूली शिक्षा के साथ हो तो नए नेतृत्व की सफलता के लिए नए क्षितिज हमारे सामने उपस्थित हो सकते हैं। विद्यार्थी को प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग जीवन विज्ञान के नाम से करवाए जाते हैं । उससे नैतिक शिक्षा और अहिंसा की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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