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अहिंसा का प्रशिक्षण हिंसा को कम करने और अहिंसा को प्रतिष्ठित करने के लिए आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन किया। उसके आधार पर प्रशिक्षण के सूत्र भी खोजे गये हैं। हिंसा का संदर्भ
हिसा प्रशिक्षण का सूत्र १. असंतुलित समाज व्यवस्था अहिंसक जीवन-शैली का प्रशिक्षण २. असंतुलित राजनैतिक व्यवस्था लोकतंत्रीय जीवन-शैली का
प्रशिक्षण ३. शस्त्रीकरण की समस्या
मानवीय अस्तित्व की सुरक्षा का
प्रशिक्षण ४. जातीय और रंगभेद की समस्या मानवीय एकता का प्रशिक्षण ५. सांप्रदायिक समस्या
धर्म या सत्य की मौलिक एकता
का प्रशिक्षण ६. मानवीय संबंधों का असंतुलन समता और आत्म-तुला के सिद्धांत
का प्रशिक्षण ७. आर्थिक स्पर्धा और अभाव व्यक्तिगत स्वामित्व की सीमा तथा
उपभोग की सीमा का प्रशिक्षण । अन्तर्जगत् से सम्बन्ध रखने वाली हिंसा को कम करने के लिए अनेकांत का प्रशिक्षण और प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग उपयोगी हैं:मानसिक तनाव
कायोत्सर्ग और श्वास प्रेक्षा का
प्रशिक्षण वैचारिक मतभेद
अनेकांत का प्रशिक्षण भावात्मक असंतुलन
चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा और लेश्या
ध्यान का प्रशिक्षण व्यक्तिगत रासायनिक असंतुलन प्रेक्षा ध्यान के पांच चरणों का
प्रशिक्षण व्यक्ति और समाज
वर्तमान चितन की अभिमुखता समाज से अधिक है। व्यक्ति गौण हैसमाज प्रमुख है। समाज में परिवर्तन, समाज का सुधार, समाज का विकास चिन्तन के ये बिन्दु हैं । व्यवस्था और कानून को सामाजिक बनाया जा सकत है। उनका सम्बन्ध वस्तु और दण्ड-शक्ति से है इसलिए उन्हें सब पर समा रूप से लागू किया जा सकता है । अहिंसा का सम्बन्ध अन्तर्जगत् और हृद परिवर्तन से है इसलिए उन्हें सब पर समान रूप से लागू नहीं किया ज सकता । अहिंसा दण्डशक्ति का स्थान नहीं ले सकती। उसके द्वारा समाज व शासित नहीं किया जा सकता। उक्त विचार अहिंसा की दुर्बलता और हिर
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