________________
३८
अहिंसा : व्यक्ति और समाज
नहीं आ पाया। लोगों ने इस नीति की दुर्बलता को अहिंसा की दुर्बलता माना। इस प्रकार राष्ट्र के मानस में आजादी के समय अहिंसा के प्रति जमने वाली आस्था और उसकी शक्ति में होने वाला विश्वास धीरे-धीरे कम हो गया ।
____फिर भी सचाई यह है कि हिंसा चाहे अपने चरम सीमा तक पहुंच जाए, पर उसका मूल्य-स्थापन नहीं हो सकता, क्योंकि वह हमारी प्रकृत अवस्था नहीं है। तूफान और उफान किसी अवधि विशेष तक ही प्रभावित कर सकते हैं । वे न स्थायी हो सकते हैं और न उनकी प्रतिष्ठा ही हो सकती है।
मूल्य-स्थापना की संभावना में मुझे जो सबसे बड़ी बाधा दिखाई पड़ती है, वह है अहिंसा के प्रति दृढ़ आस्था की कमी। पर्याप्त आस्था का प्रभाव मुझे जनता में ही नहीं दिखता, स्वयं अहिंसा में विश्वास रखने वाले लोगों में भी नहीं है। इसलिए अहिंसात्मक प्रतिकार की बात से पहले अहिंसक व्यक्तियों में अहिंसा के प्रति अटूट निष्ठा उत्पन्न करना अत्यधिक आवश्यक है। फिर भी अहिंसा के मूल्य-स्थापन की संभावना में मुझे कोई संदेह नहीं है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org