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________________ ३२ अहिंसा : व्यक्ति और समाज हत्या की थी, किन्तु बाद में उसकी जाति के लोगों ने आगजनी और उत्पात के दृश्य उपस्थित कर उसकी आत्मा की हत्या करने का प्रयास किया। कितना अच्छा होता, नीग्रो जाति अपने प्यारे नेता के निधन से प्रेरित होकर दुगुनी शक्ति से उसके मिशन को पूरा करने में लग जाती ! उसके द्वारा संचालित होने वाले अहिंसात्मक अभियान को हतप्रभ नहीं होने देकर अपनी आहुति से उसे और अधिक प्रज्वलित करती । किंग की पत्नी ने अपने पति के अभाव में स्वयं उस रैली की कमान संभालकर सचमुच ही एक आदर्श उपस्थित किया, जिसके आयोजन की पूर्व-भूमिका में किंग को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा था। यह अहिंसा का परीक्षण-काल है। अहिंसावादी लोगों का यह कर्तव्य है कि वे अहिंसा को वीर्यहीन न बनने दें। इस दृष्टि से उन लोगों का अहिंसा की दिशा में संगठित चिन्तन और संगठित प्रयत्न होना चाहिए। जनजन के लिए अहिंसा तभी व्यवहार्य और ग्राह्य बन सकती है जब उसमें प्रतिरोध की शक्ति आए । निवीर्य अहिंसा में आज के युग की आस्था नहीं हो सकती। मेरी दृष्टि से अहिंसा तभी वीर्यवान हो सकती है जब उसे संगठित चिन्तन और संगठित प्रयत्न का आधार मिले। यह मैं अहिंसा की दुर्बलता मानता हूं कि उसके अनुयायियों का संगठन नहीं हो पाता। कुछ अहिंसा-निष्ठ व्यक्तियों का संगठन में इसलिए विश्वास भी नहीं है कि वे उसमें अहिंसा का खतरा देखते हैं । मैं अहिंसा की वीर्यवत्ता के लिए संगठन को उपयोगी समझता हूं। हिंसा वहां है जहां बाध्यता हो । साधना के सूत्र पर चलने वाले प्रयत्न व्यक्तिगत स्तर पर जितने शुद्ध होते हैं, समूह के स्तर पर भी उतने ही शुद्ध हो सकते हैं। सामूहिक अभ्यास से उस शुद्धता में तेजस्विता और अधिक निखर आती है। ___ अहिंसा को सफल बनाने के लिए उसके व्यवस्थित प्रशिक्षण की भी आज नितान्त अपेक्षा है। स्थान-स्थान पर प्रशिक्षण केन्द्रों की व्यवस्था हो और अहिंसा के व्यापक स्तर पर प्रयोग किए जाएं तो मैं समझता हूं अहिंसा के प्रति जन-जन का आकर्षण स्वयं बढ़ेगा : हिंसा के प्रति लोगों की कोई आस्था नहीं है। सब लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान बन नहीं सकती। लेकिन अहिंसा के प्रशिक्षण और पथ-दर्शन के अभाव में उन्हें विवशता से हिंसा का पथ स्वीकार करना पड़ता है । मैं आशा करता हूं, इस प्रकार की घटनाओं से प्रेरित होकर अहिंसा-निष्ठ लोग अहिंसा के प्रशिक्षण तथा प्रयोगों की ओर विशेष ध्यान देंगे। अहिंसात्मक प्रतिकार का स्वरूप क्या होगा? अहिंसात्मक प्रतिरोध कार्यक्रम में उसके अनुरूप भूमिका का होना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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