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________________ अहिंसा : व्यक्ति और समाज बन्धुत्व सबके-सबको भौतिकवाद की सार्वभौम बाढ़ में डूब जाने का खतरा पैदा हो जायेगा। मानव-जीवन में कोई अन्य सहारा, कोई सच्चा सन्तोष नहीं रहेगा, क्योंकि जितना ही अधिक किसी के पास होता है, उतनी ही अधिक उसकी भूख बढ़ती है। शारीरिक आवश्यकताओं पर नियन्त्रण नैतिक जीवन और मानवीय व्यक्तित्व के विकास तथा समस्त मानवीय गुणों और मूल्यों के फूलने-फलने के लिए शारीरिक भूख (आवश्यकताओं) पर नियन्त्रण रखना अनिवार्य है। समाजवादी मूल्यों के सम्बन्ध में तो यह बात खास तौर से सही है । सबके साझे प्रयत्न से जो उपयोगी चीजें उपलब्ध हों, उन्हें एक-दूसरे के साथ बांटकर खाने का तरीका ही समाजवादी जीवन मार्ग है। बांट लेने का यह काम जितनी स्वेच्छा और सहमति से होता है, उतना ही समाज में तनाव और दबाव कम होगा और उतना ही अधिक समाजवाद उसमें होगा। मैं समझता हूं कि जब तक समाज के सदस्य अपनी आवश्यकताओं पर नियंत्रण रखना नहीं सीखते, स्वेच्छा से चीजों को बांट लेना यदि असंभव नहीं, तो कठिन अवश्य होगा। तब समाज निश्चय ही टुकड़ों में बंट जाएगा। एक उन लोगों का, जो दूसरों को अनुशासित करने का प्रयत्न करते होंगे और दूसरा, बाकी बचे हुए सब लोगों का । समाज की इस प्रकार की व्यवस्था में एक प्रश्न हमेशा सामने रहता __ "अनुशासित करने वालों पर अनुशासन कौन रखेगा, राज्य करने वालों पर राज्य कौन करेगा?" साम्यवादी देशों के उदाहरण और समाजवादी सरकारों के अनुभव से यह प्रकट है कि इस शाश्वत प्रश्न का उतर देना बहुत कठिन ही है। इसका एक ही हल मालूम होता है और वह यह कि ऊपर से अनुशासन करने की आवश्यकता और उसके क्षेत्र को जितना अधिक-से-अधिक संभव हो, संकुचित और सीमाबद्ध किया जाय तथा आत्मानुशासन के क्षेत्र का उत्तरोत्तर विस्तार किया जाय । यह हो सकेगा इस बात का इतमिनान दिलाने पर कि समाज का प्रत्येक सदस्य आत्मानुशासन से काम करता है और समाजवादी मूल्यों के अनुरूप आचरण करता है और दूसरी चीजों के साथ-साथ अपने साथियों के बीच स्वेच्छापूर्वक बांट-बांटता और सहयोग करता है। सत्ता का विकेन्द्रीकरण नीचे से ___अवश्य ही जनतान्त्रिक समाजवादियों में सत्ता के विकेन्द्रीकरण, 'चौखम्बा-राज्य' तथा इसी प्रकार की अन्य धारणाओं के संबंध में अस्पष्ट चर्चाएं होती थीं। किन्तु देखा कि अमल में उनका एकमात्र ध्येय सत्ता पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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