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________________ अणुबम नहीं : अणुव्रत चाहिए शाश्वत सत्य का संदेश या तो उन लोगों तक पहुंचा नहीं है या उन्होंने इसे सुनकर भी अनसुना कर दिया है, जो अपनी बुद्धि और शक्ति को मनुष्य जाति के व्यापक हनन में लगा रहे हैं। इस बात को सब मानते हैं कि विज्ञान ने बहुत तरक्की की है। यह बहुत अच्छी बात है। विज्ञान की प्रगति से अनेक अज्ञात रहस्यों पर गिरा हुआ पर्दा हटा है, किन्तु इस बात को भी हमें नहीं भूलना चाहिए कि विज्ञान में तारक और मारक दोनों शक्तियां होती हैं। कोई आदमी उसकी तारक शक्ति को भूलकर मारक शक्ति को ही काम में लेने लगे, इसमें विज्ञान का क्या दोष ? पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान् ने आदमी को दो पुड़िया दी और कहा-एक पुड़िया में पैसा है और दूसरी में ईमान । तुम पैसा बिखेरते जाओ और ईमान बटोरते जाओ। आदमी ने दोनों पुड़िया हाथ में ली । एक पुड़िया को उसने बिखेर दिया और दूसरी को सहेजकर रख लिया। रख तो लिया, पर कुछ उल्टा हो गया। उसने पैसे के स्थान पर ईमान को बिखेर दिया और ईमान के बदले पैसे को बटोर कर रख लिया। यही बात विज्ञान के संदर्भ में है । उसके साथ मानवता या मानव जाति को बचाने की जो विलक्षण शक्ति है, उसे भुला दिया गया और संहार की भयानक शक्ति को उजागर किया गया। इस विपर्यास को दूर करने के लिए सम्यक् दृष्टिकोण के निर्माण की आवश्यकता है । विज्ञान की देन अणुबम की विभीषिका को समाप्त करने में अणुव्रत की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मानवता को बचाने की चिन्ता करने वाले किसी भी व्यक्ति का घोष होगा'अणुबम नहीं, अणुव्रत चाहिए।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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