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________________ मानविकी पर्यावरण में असंतुलन एक चीनी कहावत है कि एक पुरुष को शिक्षित करो तो एक जन शिक्षित होता है, पर एक स्त्री को शिक्षित करो तो पूरा वंश शिक्षित होता है। इसी प्रकार की विचारधारा थी हमारे स्वर्गीय पूज्य गुरुदेव कालगणी की। वे महिलाओं को गहरे धार्मिक संस्कार देने के पक्ष में थे। उनकी दृष्टि में एक संस्कारी महिला पूरे परिवार की धुरी बन सकती थी। रूस के क्रांतिकारी नेता लेनिन का विचार था कि महिलाओं का सामाजिक, मानसिक उद्धार किए बिना समाजवाद के निर्माण का काम नहीं हो सकता। आज हमारे देश में राजनीति के झरोखों से समाजवादी हवाएं प्रवेश कर चुकी हैं। समाजवाद की स्थापना और विकास के लिए नारेबाजी हो रही है, भाषणबाजी हो रही है और नयी-नयी योजनाएं भी बन रही हैं, पर जब तक महिलाओं को साथ लेकर इस दिशा में प्रस्थान नहीं होगा, समाजवाद का नारा शब्दों की गिरफ्त से मुक्त होकर लोकजीवन में नहीं उतर सकेगा। भारतवर्ष में स्त्री और पुरुष को लेकर दोहरे मानदण्ड प्रचलित हैं। संविधान में स्त्री को वे सभी अधिकार प्राप्त हैं, जो एक पुरुष को होते हैं । किन्तु व्यवहार के धरातल पर स्त्री का परिवेश बहुत सीमित प्रतीत होता है। सामान्यतः स्त्री और पुरुष के लिए कार्यक्षेत्र का विभाजन था। स्त्री घर को संभालती और पुरुष घर से बाहर काम करता । वैसे घर संभालना भी कोई छोटा काम नहीं है। पर उसे सामाजिक मूल्य कम मिला तो स्त्री ने घर से बाहर पग उठा लिये । विचारशील लोग इस प्रस्थान से सहमत थे, किन्तु परम्परावादी लोगों को यह सहन नहीं हुआ। उन्होंने कहना शुरू किया'औरत को अपनी औकात से बाहर काम नहीं करना चाहिए । वह गृहिणी है, अधिकारिणी नहीं है जो मनमर्जी कुछ भी करती रहे । स्त्री पुरुष के अधीन रहकर ही सुरक्षित रह सकती है। पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों पर छिड़ी यह बहस स्त्री की सोच और क्षमता को भी अपने भीतर लीलती गई। समान श्रम और समान वेतन की बात सिद्धांततः स्वीकृत होने पर भी स्त्री को पुरुष की तुलना में कम वेतन मिलता है। विकास के कुछ ऐसे अवसरों का लाभ स्त्री को इसलिए नहीं मिलता कि वह स्त्री है। यह कैसी विडम्बना है ! कई परिवारों में बेटी को बेटे की तरह पालने तक की मानसिकता नहीं है । इस मानसिकता का रोमांचकारी उदाहरण है, कन्या भ्रूण की बढ़ती हुई हत्या। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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