________________
मन से भी होती है हिंसा दास हैं। जब-जब उनके दिमाग पर साम्प्रदायिक मादकता का प्रभाव घनीभूत होता है, वे घासफूस के ढेर में चिनगारी लगाकर स्वयं छिप जाते हैं। ऐसे लोग मनुष्यों के हत्यारे तो हैं ही, मानवीय मूल्यों के भी हत्यारे हैं। मुझे लगता है कि यह साम्प्रदायिकता की मादकता सबसे भयंकर मादकता है । इस सत्य को लोग समझें, साम्प्रदाकिता की जड़ों को उखाड़ें, एक स्थिर एवं निश्चित भविष्य को संवारने का संकल्प लें। बढ़ती हुई हिंसा की समस्या का यह सर्वाधिक सरल समाधान है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org