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________________ हिंसा का कारण : अभाव और अतिभाव होता तब बाहर से अंकुश-अनुशासन आता है । समाज में व्यवस्था और कानून का जन्म इसलिए होता है कि वह उच्छृखल और उन्मत्त न बने । किंतु जनतन्त्र का यह एक दोष भी है, जिसमें व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक स्वतन्त्रता मिल जाती है। सबको अपने विकास के समान अवसर मिलें-यह वांछनीय है। किन्तु सबको उच्छृखल बनाने के खुले अवसर मिलें, यह कभी भी वांछनीय नहीं माना जा सकता । किसी भी राष्ट्र के नागरिको को यदि बिना कोई रोक-टोक के शस्त्र रखने का अधिकार होता है तो वह हिंसात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ाने का सबसे बड़ा प्रोत्साहन होता है । प्रतिकूल परिस्थितियों में आवेश आना सहज है। किन्तु वह प्रवेश भयंकर और अनिष्टकर न बनने देने के लिए आवश्यक होता है कि उसे साधनहीन बना दिया जाए। सभी साधनों के पास रहने पर आवेश की अभिव्यक्ति भयंकर न हो, यह संभव नहीं लगता। इस दृष्टि से मनुष्य को शस्त्र रखने की स्वतन्त्रता कभी नहीं होनी चाहिए। ये कुछ कारण ऐसे हैं, जिनसे पाशविक शक्तियां बहुत तेजी से उभर रही हैं जिन पर आज गम्भीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए। इस प्रकार की अमानवीय घटनाओं पर अन्य राष्ट्र केवल शाब्दिक संवेदन या खेद तक सीमित रहें, इससे मुझे समस्या का समाधान नहीं दीखता। इन दुर्घटनाओं को तभी रोका जा सकता है, जवकि इसके प्रतिरोध में प्रबल जनमत तैयार हो । सब राष्ट्रों को इस विषय पर भी गम्भीरता से सोचना चाहिए कि इस समय विश्व-व्यवस्था में मानवीय भावनाओं को पुनः प्रतिष्ठित कैसे किया जा सकता है। विरोधी विचार वाले व्यक्ति के प्रति सहिष्णुता, उदारता और सह-अस्तित्व आदि मानवीय गुणों का राजनीति की भूमिका में विधिवत् प्रशिक्षण मिलना चाहिए। इस प्रकार के समग्र वातावरण का दायित्व सभी राष्ट्रों पर समान रूप से आता है। अच्छाई हर किसी देश की ली जा सकती है, किन्तु आदर्श वही होना चाहिए जो सर्वागतया हितावह हो । अमरीका की राजनीति में हत्याएं जैसे प्रथा का रूप ले रही हैं। योग्य और उदार व्यक्तियों का जीना संदिग्ध-सा बन गया है। लोगों को लग रहा है कि वहां की नीतियां सड़ गयी हैं और उनमें से दुर्गन्ध उठ रही है। वहां की जीने की पद्धति में बहुत जल्दी ही संशोधन की अपेक्षा है । इसके साथ ही उन व्यक्तियों को अपने चिंतन में परिवर्तन करना होगा, जो अपने निर्माण का आदर्श अमरीकावासियों को मान बैठे हैं । समय रहते यदि ऐसा नहीं हो सका तो मैं सोचता हूं, सारे विश्व के लिए उसका परिणाम भयंकर हो सकता है। ___ अमरीका ने शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में जो प्रगति की है, उसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता, किन्तु उस का मानवीय पक्ष दुर्बल बनता जा रहा है, यह बहुत चिन्ताजनक स्थिति है। अन्य राष्ट्रों को चाहिए कि भौतिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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