________________
३६ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ प्रणाली है-विकास महोत्सव।
जैसे अनुशासन का प्रतीक पर्व है-मर्यादा-महोत्सव वैसे ही विकास का प्रतीक पर्व है-विकास-महोत्सव । पूज्य गुरुदेव ने एक से अधिक बार कहा-प्रवृत्तियों का विस्तार बहुत हो चुका है। अब इनका नियोजन होना जरूरी है। इस नियोजन की वार्ता और विकास-महोत्सव की परिकल्पना से तेरापंथ विकास परिषद् का उद्भव हुआ। विकास-महोत्सव के साथ तेरापंथ विकास परिषद् की कल्पना जुड़ गई। अमृत-संसद को भी नया रूप मिल गया।
तेरापंथ विकास परिषद् की नौ इकाइयां हैं। इनमें सारी प्रवृत्तियों का नियोजन किया गया है : इकाई
संबद्ध संस्थाएं १. तेरापंथ, जैनधर्म, जैनविद्या, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी
__ महासभा कर्मणा जैन, ऐतिहासिक स्मारक अ.भा.तेरापंथ युवक परिषद्
अ. भा.तेरापंथ महिला मण्डल
अ. भा. तेरापंथ स्मारक समिति २. जैन विश्व भारती संस्था
जैन विश्व भारती __(मान्य विश्वविद्यालय) ३. अणुव्रत
अखिल भारतीय अणव्रत समिति, अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास
अणुव्रत विश्व भारती प्रेक्षाध्यान
अध्यात्म-साधना-केन्द्र (दिल्ली) तुलसी अध्यात्म नीडम्
(जैन विश्व भारती) जीवन-विज्ञान
जीवन-विज्ञान अकादमी,
(जैन विश्व भारती) ४. अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र
अणुविभा अणुव्रत इण्टरनेशलन
अनेकांत इण्टरनेशनल ५. साहित्य
आदर्श साहित्य संघ जैन विश्व भारती (प्रकाशन-प्रसार)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org