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३. तेरापंथ की शक्ति का रहस्य
हमारा धर्मसंघ एक विशाल धर्मसंघ है। बड़ा इसलिए कि वह शक्तिशाली है। मैं आकार को बहुत बड़ा नहीं मानता। एक बहुत बड़ा आदमी थुलथुला हो जाये, सौ-डेढ़ सौ किलो का हो जाये तो उसे बड़ा मानने का कोई औचित्य नहीं है। बड़ा वह होता है, जो शक्तिशाली होता है। सौभाग्य से हमें शक्ति के मूल तत्व मिले हैं। शक्ति के मूल तत्त्व पांच हैं
• अनुशासन बल • सिद्धान्त बल • मनोबल • अध्यात्म बल • समाधान बल।
अनुशासन बल पहला तत्त्व है-मर्यादा या अनुशासन। जिस संघ को अनुशासन-बल प्राप्त होता है, वह शक्तिशाली होता है। जिसे यह प्राप्त नहीं होता, आकार में भले ही वह आकाश को नाप ले, बड़ा नहीं कहा जायेगा।
सिद्धान्त बल दूसरा तत्त्व है सिद्धान्त बल। आचार्य भिक्षु ने सौभाग्य से हमें सिद्धान्त बल दिया है। तेरापंथ की स्थापना कोई हवाई स्थापना नहीं है। अनुशासन भी चल रहा है तो हवाई किलों से नहीं चल रहा है। मैं बिना किसी अहंकार और गर्वोक्ति से कहना चाहूंगा कि तेरापंथ को जितनी सिद्धान्तभूमि, आधारभूमि प्राप्त है, शायद किसी और को प्राप्त नहीं है।
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