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१४६ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ
धर्मसंघ कृतज्ञभाव से श्रद्धाप्रणत होकर तुम्हारी वंदना और अभिनंदना कर रहा है। • इस अमृत महोत्सव की मंगल बेला में यह मंगल भावना कर रहा है
संघपुरुष हो चिरायुः
संघशास्ता हो चिरायुः और दोहरा रहा है अपना समर्पण। उस संवेदनशील पुष्प को स्वीकार कर कृतार्थ करो।
* २२ सितम्बर १९८५, आमेट, (राजस्थान) में आचार्य श्री तुलसी के पचास वर्षीय
शासन काल की सम्पन्नता के अवसर आयोजित अमृत महोत्सव के सन्दर्भ में पूरे संघ द्वारा समर्पित अभिनंदन पत्र।
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