SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अमृत महोत्सव : अभिनन्दन १४५ और नैतिक चेतना के जागरण में अणुव्रत आन्दोलन का योगदान एक ऐतिहासिक अभिलेख है। अभिनन्दन है प्रेक्षाध्यान के स्वप्नद्रष्टा का। प्रेक्षाध्यान-परोक्ष धर्म के प्रति संदेहशील मानस को प्रत्यक्ष धर्म की दीक्षा में दीक्षित करने वाला आस्था के अंकुरण का एक महान् प्रयत्न है। अभिनन्दन है युग प्रधान का, जिसने युग की भाषा को समझा और उसे शाश्वत की भाषा से परिचित कराया, परिवर्तन का मूल्यांकन किया और परिवर्तनीय में रहे अपरिवर्तनीय की प्राण प्रतिष्ठा की। अभिनन्दन है मनोबली आचार्य का, जिसके मनोबल की आधारभूमि है विधायक दृष्टिकोण और चिन्तन, रचनात्मक कल्पनाएं और प्रवृत्तियां। जिसने अपने कार्यों से प्रमाणित किया है कि विधायक दृष्टिकोण ही व्यक्ति को प्रगति शिखर पर ले जा सकता है। अभिनन्दन है वाग्बली आचार्य का, जिसकी वाणी में ओज है, सामर्थ्य है। जिसने अपनी वरदा वाणी के द्वारा असंख्य लोगों को नवजीवन दिया है। अभिनन्दन है कायबली आचार्य का, जिसके पुरुषार्थ और पराक्रम ने न केवल परिव्रजन का कीर्तिमान स्थापित किया है, अनेक स्वप्नों को साकार किया है। अभिनन्दन है साहित्यसागर के मंथनकार का, आगम सम्पादन और सामयिक साहित्य की अमृत बूंदों ने मरणधर्मा मनुष्य को सींचा है। उसमें जगी है अमृतत्व की अनुभूति। अभिनन्दन है महान् व्यक्तित्व का। विशिष्ट चिंतन पद्धति, सहज स्वभावं, अदम्य संकल्पशक्ति, अगम्य मनोरथ, प्रगतिशील विचार, नैसर्गिक प्रसनता, सहज सिद्धयोग, परिवर्तन की क्षमता. संघर्ष में अप्रकम्प, संघर्ष को निमंत्रण और उससे शक्ति का संवर्धन, सहिष्णुता- ये हैं व्यक्तित्व को महानता देने वाले तत्त्व। इनकी उपलब्धि तुम्हारे व्यक्तित्व की महानता का स्वयंभू साक्ष्य है। महान् आचार्य! इन पांच दशकों में तुमने तेरापंथ धर्मसंघ, पूर्वज आचार्यों और विकासशील परंपरा की जिस समर्पणभाव से सेवा की है, वह अपूर्व, अतुलनीय और अमाप्य है। उसके लिए चुतुर्विध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003064
Book TitleAtit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy