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२६. अमृत महोत्सव : अभिनन्दन अभिनन्दन इन शक्तिशाली कंधों का, जिन्होंने शासन संचालन का गुरुतर भार उठाया और आज भी अविश्रांत हैं। अभिनन्दन इन अमिताभ हाथों का, जिन्होंने पुरुषार्थ की प्रतिमा को आकार दिया, जिनकी वरद मुद्रा से मिला धर्मसंघ को प्राण, उदान, समान और अस्मिता का आदान। अभिनन्दन इन रक्ताभ पैरों का, जो अविश्रांत गति से चलते रहे हैं, जिनकी गति में प्रगति का प्रतिबिम्ब है। • अभिनन्दन इन दीर्घ आयत आंखों का, जिनकी पारदर्शी दृष्टि से
सुदूर भविष्य बन गया हमारे धर्मसंघ का वर्तमान। अभिनन्दन इन मस्तिष्कीय पटलों का, जिन्होंने बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास में संतुलन स्थापित किया, युग को नई दिशा और नई दृष्टि दी। अभिनन्दन है तेरापंथ का, जिसने तुम्हारे जैसे मानवता के मसीहा
को जनता के लिए समर्पित किया। • अभिनन्दन है पूज्य कालूगणी का, जिनकी दृष्टि ने भविष्य को
वर्तमान में देखा। अभिनन्दन है जैन आचार्य का, जिसने जैन धर्म को जन-जन तक पहुंचाया, उसे एक नई पहचान दी और उसे दी जैनधर्म की प्रतिष्ठा। अभिनन्दन है तेरापंथ के आचार्य का, जिसने भिक्षुशासन को वह शक्ति, सौन्दर्य और गौरव दिया, जिसे सब सतृष्ण दृष्टि से निहार
रहे हैं। • अभिनन्दन है अणुव्रत के अनुशास्ता का। राष्ट्रीय चरित्र विकास
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