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१६ : पुण्यपापम्
सर्वे सम्मिलिता जाताः, पुण्ये विद्यालयाङ्गणे । 'विद्यार्थिनः शिक्षकाश्च तत्रैक: पृष्टवानिदम् ॥
विद्यालय के पवित्र प्रांगण में शिक्षक और विद्यार्थी एकत्रित हुए। उस समय एक विद्यार्थी ने पूछा
कथमध्यापकश्रेष्ठ !
भवामः सफला जिज्ञासामो वयं करोतु पथदर्शनम्
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वयम् ।
सर्वे,
11:
अध्यापक- प्रवर ! हम जीवन में सफल कैसे हो सकते हैं ? यह हम सबकी जिज्ञासा है | आप हमारा मार्गदर्शन कीजिए ।
अध्यापको मृदु प्राह, यूयं शृणुत सादरम् । भवेत सफला यूयं, तानुपायान् वदाम्यहम् ॥
अध्यापक ने कोमल स्वर में कहा - विद्यार्थियो ! तुम आदरपूर्वक सुनो । मैं तुम्हें उन उपायों का शिक्षण दूंगा, जिन्हें सीखकर तुम सफल हो सकते हो ।
तत्र,
उपाय प्रथमं
स्वावलम्बं वदाम्यहम् ।
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