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२२ अतुला तुला विद्यमान वन्दना-सुखपृच्छा की भावना को वहां के मुनिवृन्द यथायोग्य जान लें
और हम यहां स्थित मुनि वहां के मुनिगणों की मानसिक भावना को ग्रहण कर लेंगे।
- [आचार्यश्री तुलसी को प्रदत्त पन-राजनगर (मेवाड़) वि० सं० २०१७ ज्येष्ठ शुक्ला ]
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