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________________ २० : नैतिकता - अनैतिकता वृत्ति विलासबहुला रल्पायश्च बहुव्ययः । अपेक्षा: कृत्रिमा यत्र तत्र नैतिकता कुतः ? ॥ १॥ जहां जीवनचर्या विलास से परिपूर्ण है, जहां आय कम और व्यय अधिक है। और जहां आवश्यकताएं कृत्रिम हैं, वहां नैतिकता कैसे होगी ? सीमामासादितो भोगः, 1 व्ययश्चायानुसारतः अपेक्षा: सीमिता यत्र, तत्राऽनैतिकता कुतः ? 11211 जहां भोग-विलास की सीमा है, आय के अनुसार व्यय है और आवश्यकताएं सीमित हैं, वहां अनैतिकता कैसे होगी' ? Jain Education International कर्त्तव्यविमुखं यत्र, राज्यतन्त्र प्रविद्यते 1 वणिजश्छल संयुक्ताः तत्र नैतिकता कुतः ? ॥३॥ जहां राज्यतन्त्र अपने कर्त्तव्य से विमुख है और जहां व्यापारी छल-कपट प्रधान हैं, वहां नैतिकता कैसे होगी ? कर्त्तव्यप्रवणं राज्यतन्त्र वणिजो न्याय्य संतुष्टाः, तत्राऽनैतिकता कुतः ? ||४|| जहां राज्यतन्त्र कर्त्तव्य-परायण है और व्यापारी औचित्य से प्राप्त संपदा से संतुष्ट हैं, वहां अनैतिकता कैसे होगी ? यत्र, प्रविद्यते I ( तीस हजारी -- दिल्ली, वि० सं० २०२१ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003063
Book TitleAtula Tula
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1976
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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