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________________ है । जो मनुष्य उसके साथ-साथ घूमता है वह अपने स्थिर लक्ष्य को पाकर, उससे छुटकारा पा लेता है । । तृतीय एषोस्ति च भावनाया, ऊधवंगतः कर्षति लोकमुच्चैः । स्वभाव ऊर्ध्वगमिनामसौ हि, निम्नान् जनानुन्नयते स्वतोऽपि ॥ ३ ॥ तीसरा आवर्त होता है भावना का। ऊंची भावना का आवर्त मनुष्यों को ऊंचा ले जाता है । ऊपर जाने वालों का यही स्वभाव होता है कि वे स्वयं ऊपर जाते हुए दूसरे मनुष्यों को भी ऊपर ले जाते हैं । आशुकवित्वम् ८३ • [वि० सं० २०११ बम्बई चातुर्मास - अमेरिकन राइटर बुडलेण्ड केलर द्वारा प्रदत्त विषय - Revolving Stairs ( आवर्त ) ] ६ : विद्वत्सभा डॉ० के० एन० वाटवे, एम० ए० पी-एच० डी०, संस्कृत विभागाध्यक्ष, एस ० पी० कॉलेज, पूना, ने आशुकवित्व के लिए विषय देते हुए यह श्लोक कहापण्डिता: सर्वे, श्रवणेच्छया । मिलिताः काव्यमाश्रित्य Jain Education International काव्यस्य अतो हि वर्ण्यतां विदुषां सभा || सभी पंडित काव्य सुनने की इच्छा से यहां एकत्रित एहु हैं । इसलिए आप ( मुनिश्री ) 'विद्वत्सभा' इस विषय पर आशुकवित्व करें । विषयपूर्ति - स्वातन्त्र्यं यज्जन्मसिद्धोऽधिकारः, येषां नादः सर्वथा श्रूयमाणः । For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.003063
Book TitleAtula Tula
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1976
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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