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हो सकते। जब पीले रंग के परमाणुओं से हमारा लेश्या-तंत्र और आभामंडल सक्रिय होता है, तब हमें जितेन्द्रिय होने की सुविधा मिल जाती है।
सूक्ष्म और स्थूल-इन दोनों जगत् के प्रभावों को समझकर हम अपने व्यक्तित्व के रूपान्तण के लिए प्रयत्न करें। वह पुरुषार्थ कभी विफल नहीं होगा।
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आभामंडल
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