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४. स्थूल और सूक्ष्म जगत् का सम्पर्क सूत्र
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१. . व्यक्तित्व के दो खंड
* स्थूल व्यक्तित्व का नियन्त्रण। * सूक्ष्म व्यक्तित्व का शोधन। * केवल दमन या नियन्त्रण नहीं, शोधन। निषेध से बुरे रंगों के परमाणु भीतर नहीं जाते, फलतः लेश्या शुद्ध। स्थूल और सूक्ष्म के मध्य दस संस्थान। सम्पर्क सूत्र लेश्या* यह स्थूल जगत् के कच्चे माल को भीतर पहुंचाता है और सूक्ष्म जगत् के पक्के माल को बाहर पहुंचाता है।
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३. .
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अच्छे जीवन के लिए आत्म-नियंत्रण आवश्यक है। किन्तु वर्तमान का मनोविज्ञान इस भाषा को कम पसंद करता है। आत्म-नियंत्रण और आत्मदमन की भाषा को पुरानी भाषा माना जाता है। वर्तमान का विचार है कि मनोभावों का दमन नहीं होना चाहिए, नियंत्रण नहीं होना चाहिए। मनोभावों का नियंत्रण करने से अनेक विकृतियां पैदा होती हैं। यदि स्वाभाविक मनोभावों को दबाया जाता है, रोका जाता है तो वे दमित वासनाएं व्यक्ति को विकृत बनाती हैं और मस्तिष्क में एक प्रकार का पागलपन भर देती हैं। इसलिए उनका दमन नहीं होना चाहिए। इस बात में कुछ सचाई है, किन्तु किसी भी बात को हम पूरे सत्य के रूप में स्वीकार कर लेते हैं तो स्वयं सत्य का अपलाप हो जाता है। प्रत्येक विचार सापेक्ष होता है। उस सापेक्षता को समझे बिना, उसे सर्वांगीण
स्थूल और सूक्ष्म जगत् का सम्पर्क-सूत्र ३६
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